15 college ki love story

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रात को सभी अपनी अपनी पढ़ाई में लग जाते हैं क्योंकि जल्द ही परीक्षा होने वाली थी। रात को मानिक भी अपने कमरे में पढ़ रहा था आगाज मानिक को पढ़ता देख वह भी गाना नहीं सुनता और वह भी अपनी किताबें निकालकर पढ़ने बैठ जाता है। जैसे ही वह पढ़ने बैठता है वह सिर पकड़ कर बैठ जाता है और अपने आप में कहते रहता है यह कितना कठिन है क्या होगा मेरा और सर पर यह इंटरनल एग्जाम उफ्फ , यह कहकर एक से दूसरे किताबों में देखते रहता है । मानिक यह सब आगाज को कहते और एक से दूसरे किताबों को पलटते देखते रहता है ।

तब मानिक पूछता है क्या हुआ बहुत परेशान लग रहे हो । तब आगाज कहता है मैं जब भी पढ़ने बैठता हूं ना, मैं तो इन मोटी मोटी किताबों को  देखकर ही हार मान जाता हूं और मुझे पढ़ने का मन नहीं होता ।क्या होगा मेरा। तब मानिक देखता है कि वह वही नोवल है जो उसने पूरी पढ़ रखा है।तब वह कहता है किसको पढ़ रहे हो।तब आगाज कहता है ।यह नोबेल।यह इतनी मोटी है न ही कोई तस्वीर है इसमें ,कोई कैसे इसे पढ सकता है । तब मानिक कहता है अगर तुम चाहोगे तो क्यों नहीं पढ़ पाओगे। अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें पढ़ा सकता हूं क्योंकि यह मैंने पहले ही पढ़ रखी है । आगाज कहता है क्यों नहीं । तब वह आगाज के पास जाता है और वह उसका सिलेबस देखता है और पढ़ने लगने लगता है । थोड़ी देर बाद वह उसे नोबेल के बारे में समझाने लगता है आगाज शांत बैठकर उसे सुनते रहता है और समझता है ।

उन दोनों का बेड छोटा था उसमें किताबों के कारण केवल एक को ही अच्छे से बैठते बन रहा था ।आगाज देखता है कि मानिक बिस्तर के किनारे में छोटी सी जगह में बैठकर उसे पढ़ा रहा है ।तब वह उससे कहता है तुम छोटी सी जगह में बैठे हो तुम्हें तकलीफ हो रही होगी क्या हम जमीन में बैठकर पढ़ाई कर सकते है । तब मानिक कहता है कि मुझे बन जा रहा है। आगाज - मैं देख रहा हूं कि तुम बड़ी मुश्किल से बैठे हो हम जमीन में बैठ जाते हैं। तब आगाज बेड से उतरता है और जमीन को देखता है वह कहता है फर्स तो बहुत गंदी है कई दिनों से धुली नहीं है और ना ही बहुत दिनों से कोई पोछा लगाने आया है तब आगाज कहता है क्यों ना हम दोनों की बेड को एक साथ लगा दे तब तुम अपने बेड में रहना और मैं अपने और हमें पढ़ने के लिए पर्याप्त जगह मिल जायेगी।

ЁЯТЮThe Seven Life For Love Desire (Hindi)рдЬрд╣рд╛рдБ рдХрд╣рд╛рдирд┐рдпрд╛рдБ рд░рд╣рддреА рд╣реИрдВред рдЕрднреА рдЦреЛрдЬреЗрдВ