इलेक्ट्रिक पिया

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           लंडन कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशन से फोटोग्राफी में ग्रेज्युएट करने के बाद रणवीर ने नाइट्सब्रिज एस डब्ल्यू सेव्हन स्थित अपार्टमेंट का अपना रेंटल फ्लॅट छोड़ दिया और ईस्ट लंडन के बेड़फर्ड रोड, साउथ वुड़फर्ड में बसे अपने डॅड के आलिशान घर में लौट आया | मॉम ने उसका स्वागत मानो कोई जंग जीत कर आये हुये फ़ौजी की तरह किया | हम्म..! आख़िर माँ तो माँ होती है, भले ही मॉडर्न जमाना उसे मॉम कहें | लंडन में ही पला बढ़ा रणवीर पूरे एक साल के बाद अपने घर लौट रहा था | ऐसा नहीं था कि वो बहोत दूर पढ़ रहा था इसलिए आ न सका | बस्स..! वो अकेले रहना चाहता था | दोस्तों के साथ सेंट्रल लंडन की तेज़ ज़िन्दगी जीना चाहता था | लड़कियां तो उसके इर्दगिर्द मंडराती रहती | पर वन नाईट स्टैंड के अलावा रणवीर के दिल में उनकी कोई अहमियत न थी | फोटोग्राफी का शौक़ उसे बचपन से था | कॅमेरे के साथ साथ उसे कई नये-नये लेटेस्ट गैजेट्स से भी लगाव था | चमचमाती कारें, दौलत, ऐशोआराम की सारी चीजें उसके पास थी | चाहने पर कभी कोई चीज़ ना मिली हो ऐसा तो उसके सपनें में भी नहीं हुआ होगा | दिग्विजय सिन्हा का इकलौता लाडला बेटा जो था रणवीर | उसकी किसी भी बात को वो मना नहीं करते | आज भी कुछ ऐसा ही हुआ, रणवीर को इंडिया जाने का बुख़ार चढ़ा था | अपने कॅमेरे में वो वहाँ की सभ्यता, परंपरा, त्योहार, खूबसूरती सब समेटकर कैद करना चाहता था | उसके कई दोस्त हिंदुस्तानी फोटोग्राफी की वजह से आज अपने करियर की बुलंदी पर थे | रणवीर की ज़िद पर मॉम ने भलेही ऐतराज जताया हो पर डॅड दिग्विजय मना नहीं कर सके | आखिरकार दिग्विजय ने हिमाचल प्रदेश के एक छोटेसे गाँव कसोल में रहनेवाले अपने खास दोस्त प्रताप सिंघ के घर फ़ोन लगाकर रणवीर के आने की ख़बर दी और चलो..! भई..! रणवीर का इंडिया में रहने का इंतजाम हो गया | शहर के किसी पॉश होटल में रहकर भारत के मिट्टी की सौंधी खुशबू से शायद वो वाकिफ न हो पाता और ना ही उसकी खूबसूरती से जो हिमाचल की ठंडी वादियों में रणवीर का इंतजार कर रही थी | और वहाँ पर घर की तरह अपनेपन से उसकी देखभाल करनेवाला भी कोई तो साथ होना चाहिये यहीं सोचकर दिग्विजयने रणवीर का कसोल में रहने का प्रबंध कर दिया |
            ईस्ट लंडन में मॉम-डॅड के साथ कुछ दिन रहने के बाद रणवीरने अपने सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स चेक किये क्योंकि उनके बिना तो उसकी लाईफ अधूरी थी | अपना सारा क़ीमती ज़रूरी समान पॅक करके आख़िर इंडिया के लिये वो रवाना हुआ | बहोत सारी उम्मीदें और दिल में ख़्वाब सँजोए रणवीर पूरे सफ़र के दौरान अपने लैपटॉप पर हिमाचल प्रदेश और कसोल के बारे में जितनी हो सकें उतनी जानकारी इकट्ठा कर रहा था | सफ़र तो बेहद अच्छा कटा था | जैसे तैसे कसोल पहुँचनेपर रणवीर को प्रताप सिंघ की कोठी ले जाने कार लेकर देवा आया था | अरे..! भई..! देवा..! वो अपने मास्टरजी का बेटा | दिल्ली से एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी करके आजकल गाँव के सभी युवा किसानों को अच्छी फ़सल उगाने के पाठ पढ़ा रहा हैं | वैसे सरकारी नौकरी भी करता हैं, देवा..! संस्कारी, आज्ञाकारी, दिमाग़ से तेज़, ऊँचा लंबा कद, गँठियाला बदन - हैंडसम था, और क्यों न हो..? प्रतापजी के अखाड़े में कुश्ती सीखने बचपन से वो जाया करता था | दिखने में गोरा-चिठ्ठा, जवां छोरा था देवा..! अभी शादी हो जानी थी ईसकी पर दिल कहि और अटका था | बेचारा..! चाहता भी किसे था ? सुनहरी जैसी आफ़त की पुड़िया को | लड़की नहीं शैतान की नानी थी | सुनहरी..! लंबे घने सुनहरे बालों की वजह से उसका नाम सुनहरी रखा था उसके बाबाने | छोरी के पैदा होतेही माँ चल बसी | बाबा का दूध का व्यापार था, भैंसों के दो बड़े तबेले थे | जिसे सुनहरी के तीन बड़े भाई संभालते थे | पिछले साल सुनहरी की जिद्द की वजह से बड़े भैया विक्रांत ने शादी कर ली | अब तो घर में नन्हा मेहमान भी आ गया हैं | सुनहरी को शादी ब्याह से सख्त नफ़रत थी | अपनी माँ की तरह बच्चे पैदा करते करते वो मरना नहीं चाहती थी | दिल्ली में इंजीनियरिंग की डिग्री का आखरी साल बचा था सुनहरी का | पढ़ लिखकर क़ाबिल जिंदगी जिनी थी उसे | दिल्ली से डिग्री पूरी करतेही मुंबई जाकर बसना था | गये हफ्ते छुट्टियां शुरू होते ही गाँव आ गयी थी देवा के सपनोंकी ये राजकुमारी | शादी का प्रस्ताव लेकर आए देवा के घरवालों को दसवारी भगा चुकी थी ये लड़की | फिर भी पता नहीं क्यों ? देवा को ईसके अलावा और कोई भाती नहीं और सुनहरी को देवा में कोई इंटरेस्ट नहीं | लेकिन देवा ने मन ही मन ठान ली थी शादी करेगा तो सुनहरी से वरना नहीं | हे भगवान..! हम ये सब आपको अभी से क्यूँ बता रहें भला ? वो सब तो हम बाद में विस्तार से बतियाने वाले ही थे | पर अब थोड़ी जल्दी हैं | रणवीर को कोठी भी तो जाना हैं | क्यूँजी...? देवा और सुनहरी के बारे में सुनते सुनते कही आपलोग रणवीर को भूल तो नहीं गये ?
            सफ़र में देवा से अच्छी भली बातचीत हो गई रणवीर की, प्रतापजी और उनके परिवार ने रणवीर का स्वागत किया | पर कोठी खाली पड़ी थी | रणवीर को वहाँ अकेलेही रहना होगा | प्रतापजी अपने परिवार के साथ गुरुद्वारे के नजदीक रहने गए थे | ये सुनकर रणवीर को सुकून महसूस हुआ क्योंकि वो भी अकेले रहने का आदि था | कोठी की देखरेख करने के लिए किसना दिनभर वहीं रहता था | प्रतापजी का बरसों पुराना वफ़ादार नौकर था किसना | रणवीर के लिए खाना बनाकर देना अब उसकी जिम्मेदारी थी | रात को वो अपने घर चला जाता | रणवीर को बड़ा अच्छा लग रहा था कि, उसके काम के बीच कोई रोकटोक करनेवाला वहाँपर नहीं होगा | उस दिन तो प्रतापजी के घर रणवीर का पूरा दिन हँसी-मजाक, बातचीत और खाने में बीत गया | पापा से भी बात हो गई | रात होते ही रणवीर कोठी पर लौट आया | बहोत थक चुका था | पलंगपर लेटते ही वो ग़हरी निंद की आगोश में समा गया |
            भोर होते ही पंछियों की सुरीली धुन से रणवीर की नींद खुल गयी | खिड़की से भिनभिनाती हुई ठंडी हवा ने पूरे कमरे को जंगली फूलों की ख़ुशबू से महका दिया | सांस भरते ही रणवीर को ताज़गी महसूस हुई | बाल्कनी में जाकर सुबह का वो नज़ारा देख उसके होश उड़ गए | सर्द जाड़े का मौसम था | हर तरफ कोहरा छाया था, ऊँची ऊँची बर्फ़ीली पहाड़ों से सूरज की किरनें तांक-झाँक कर रही थी | निचे बाग़ीचे में ओस में नहाए कई रंगबिरंगी फूल खिले थे | नजदीक से बह रहे झरने की मध्धम आवाज़ किसी अप्सरा के पायल की खनक जैसी सुनाई दे रहीं थी | रणवीर को मन ही मन लगने लगा कि कहीं वो स्वर्ग में तो नहीं ? कसोल की घाटियों का नज़ारा तो आँखों से देखनेवाला भी शब्दों में बयाँ ना कर सके ईतना सुहावना था | वो तो बस्स..! महसूस ही किया जा सकता हैं | रणवीर ने जितनी हो सके उतनी तस्वीरे खींची और दिन का शुभारंभ किया |
          रणवीर अपना कॅमेरा थामे निकल ही रहा था कि कोठी के बाहर देवा से मुलाक़ात हुई | देवा ने उसे अपनी जीप में लिफ्ट दी और दोनों माताजी के मंदिर की ओर निकल पड़े | वैसे भी रणवीर को समझ नहीं आ रहा था कि फोटोशूट की शुरुआत कहाँ से करें ? ईधर उधर की बातें करते करते रणवीर अपना काम भी कर रहा था | वो रास्ते में  फोटोज क्लिक करते जा रहा था कि, देवा ने जोर से ब्रेक लगा दी | रणवीर हड़बड़ा कर संभल गया |
"सुनहरी..! मंदिर जा रहीं हो ?"
"देवा ओ देवा..! हम तो हाथ में थाली लिये आप ही के दर्शन करने आ रहें थे."
"क्या तुम मुझसे सीधे मुँह बात नहीं कर सकती ?"
"तो तुम भी ऐसे बेहूदा सवाल पूछकर मेरा और अपना वक्त बरबाद क्यूँ कर रहे हो ?"
"कम से कम हमारे मेहमानों के सामने तो थोड़ी इज़्जत दो."
"मेहमान..?" -  अब जा कर सुनहरी का ध्यान रणवीर की ओर गया |
"ये कौन हैं ?"
"प्रताप चाचा के दोस्त के बेटे हैं | लंडन से आये हैं |"
"जी..! मैं रणवीर." - रणवीर ने हाथ आगे किया |
"मायसेल्फ सुनहरी..!" - रणवीर से हाथ मिलाते हुये सुनहरी ने अपना परिचय दिया |
"आओ..! तुम कहो तो तुम्हें भी मंदिर छोड़ दे |" - देवा ने फिर भी सुनहरी से पूछा |
रणवीर की तरफ गौर से देखते हुये सुनहरी जीप में बैठ गयी | मंदिर में रोजाना माताजी के दर्शन कर देवा खेतों की ओर जाया करता था | आज भी उसे निकलना था पर सुनहरी को देख उसके पाँव मंदिर में मानो जम से गये थे | रणवीर उन दोनों के बीच चल रहीं नोंक झोंक से अंजान अपने में ही खोया था | अपने काम में मगन | की तभी उसका ध्यान ऊपर पहाड़ी की ओर गया |
"देवा..! वो वहाँ ऊपर क्या हैं ? कितने कलरफुल फ्लैग्स है |"
"ऊपर माताजी का बड़ा मंदिर हैं | जिसकी मन्नत हो वहीं जाता हैं उसे पूरी करने |" - सुनहरी ने झट से जवाब दिया |
"इंट्रेस्टिंग..! क्या हम अभी चल सकते हैं ?"
"अरे..! नहीं.. नहीं.. अभी नहीं.. मुझे खेत जाना हैं | परसों चलते हैं |" - देवा ने बौखला कर जवाब दिया |
"अरे..! तो जाओ ना तुम्हें किसने रोका हैं ? चलिये मेहमान जी हम आपको लेकर चलते हैं | दो तीन घंटे में पहुँच जाएँगे |"
"कॉल मी रणवीर...जस्ट रणवीर ओके..?"
"ओके..! अब चलेंगे जस्ट रणवीर ? शाम तक वापस भी तो आना है |" - सुनहरी खुलकर हँसती हैं |
"पर सुनहरी..!" - देवा आगे कुछ बोलता उसकी तरफ बिना देखें सुनहरी वहाँ से निकल ली, पीछे पीछे रणवीर भी चला गया | देवा को अब आदत सी होते जा रहीं थी सुनहरी के बर्ताव की, अब तो उसे पहले जैसा उसपर गुस्सा भी नहीं आता | बस्स..! अपनी किस्मत को मन ही मन कोसते रहता |
        पहाड़ीवाले मंदिर जाने की एक्साइटमेंट धीरे-धीरे रणवीर के चेहरे से उतरने लगी |
"क्यूँ..! जस्ट रणवीर..? निकल गयी हवा ? मंदिर नहीं जाना ? ऐसे चलोगे तो दो घंटे नहीं दो दिन लग जायेंगे ऊपर पहुँचते पहुँचते |" - सुनहरी पीछे मुड़कर रणवीर की हालत देख हँस रही थी | रणवीर बुरी तरह से हाँफ रहा था | वो सीढ़ियों पे बैठ गया, ठंड में भी पसीने से बेहाल हो रहा था | थोड़ी देर वो वैसेही आँखे मूँदकर वहाँ बैठा रहा | जब उसने आँखे खोली तब सुनहरी कहीं दिखाई नहीं दे रहीं थी | मन में अजीब सी बेचैनी लिये वो ऊपर की ओर बढ़ा | आखिर सीढ़ियां ख़तम हुई | उसकी आँखें सुनहरी को ढूँढ रहीं थी | उसने जूते उतारे और मंदिर के अंदर झाँक कर देखा | बहोत पुराना पत्थरों से बना वह मंदिर था | सूं-सूं करती हवाएं और पेड़ के पत्तोंकि छनछनाहट के बीच मंदिर की घंटी एक या दो बार बज रहीं थी | किसीकी ज्यादा चहल-पहल नहीं थी | खामोशी की अपनी अलगही ज़ुबानी होती हैं जो यहाँ सुनाई दे रहीं थी | माता के सामने आँखे मूँदकर हाथ जोड़कर बैठी सुनहरी को देख रणवीर को राहत मिली | वो भी उसके करीब जा बैठा | देवी माँ की बजाय रणवीर की नजरें सुनहरी को निहारने लगीं | उसकी ओर अब तक उसका ध्यान कैसे नहीं गया ? यहीं वह सोचे जा रहा था | हवा से लहराते उसके सुनहरे बाल कान की बालियों में लटकते घुंघरूओं में जान फूंक रहे थे | सूरज की नन्हीसी किरन सुनहरी के लाल-गुलाबी होठोंको चुम रहीं थी | गुलाब की पंखुड़ियों से भी वो नाज़ुक थे | उसके चेहरे से रणवीर की नजरें हटने का नाम नहीं लेती अगर सुनहरी अपनी बड़ी बड़ी आँखों से उसकी ओर ना देखती |
"कहाँ खो गये जनाब ?"
"वो..मैं.. क्या..मैं तुम्हारी फ़ोटो ले सकता हूँ..?"
"ये भी कोई पुछनेवाली बात हैं ?" - सुनहरी के हाँ कहते ही रणवीर ने अपना कॅमेरा रेडी किया |
"अरे..! क्या कर रहे हो..? यहाँ नहीं. ये मंदिर हैं.. बाहर चलो..|" - सुनहरी हँसे जा रही थी | और रणवीर उसकी हर एक अँगल से तस्वीरें खींच रहा था | मंदिर के यहाँसे पूरे गाँव का नज़ारा खूबसूरत लग रहा था | रणवीर ने जी भरके फोटोशूट किया | उस दिन सुनहरी से उसकी ना सिर्फ़ मुलाकात हुई बल्कि अच्छी दोस्ती भी हो गयी | पहाड़ी से उतरते-उतरते दोनों को शाम हो गयी | बाज़ार में रौनक नज़र आ रहीं थी | कई टूरिस्ट ईधर उधर घूम रहे थे |  रणवीर को कोठी तक छोड़कर सुनहरी अपने घर जाने के लिये मुड़ी, की रणवीर ने उसे आवाज़ लगाई..!
"सुनहरी..! कल मिलोगी..?"
"अम्म्म..?" - सुनहरी बालों में उँगली घुमाते हुए सोचने लगी |
"कम ऑन..! ईतना क्या सोच रही हो..?"
"मिलूंगी..! मग़र कहीं ईश्क विश्क तो नहीं फर्माओगे..?"
"ओह..! नो..! नेव्हर..! डोन्ट बी सिली.."
"तो फिर ठीक हैं | वो क्या हैं ना हमें थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब...प्यार से लगता हैं...!" - सुनहरी हँसते हुए चली गयी | रणवीर को भी उसकी ड्रामेबाजी पर हँसी आयी |
           कमरे को रणवीर ने अपने सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से ऐसे सजाकर रखा था जैसे कोई दुकान हो | मॅक,आय पॅड, कॅमेरा, लेन्सेस, आय पॉड,आय फोन, बड़े बड़े हेड फ़ोन्स, चार्जर्स, पॉवर बँक और न जाने क्या क्या..? सुबह होतेही अपने दोस्तों से व्हिडिओ चॅटींग करने में वो ईतना खो गया कि, सुनहरी को घूमने के लिए उसने बुलाया था ये भी उसे याद न था | गेट पर उसकी राह देखने पर भी वो जब नहीं आया तो सुनहरी खुद कोठी के अंदर उसे ढूंढ़ते हुए आ धमकी | किसना से रणवीर के बारे में पूछताछ कर सुनहरी सीधे उसके कमरे को ओर बढ़ी | रणवीर अभी भी अपने लंडन वाले दोस्तों से बातें करने में मशगूल था |
"लो जी ! ज़नाब तो आराम फरमा रहे हैं | और एक हम हैं जो सुबह सुबह अपनी नींद ख़राब कर आपके बुलाने पर वहाँ आपका वेट किये जा रहे हैं |"
"ओह..! सुनहरी तुम..? आय एम रियली सॉरी..! आय जस्ट..!" - रणवीर लॅपटॉप वैसेही छोड़कर बौखलाकर पहले टी-शर्ट पहन लेता हैं | उसके दोस्त ऑनलाइन ये सब देख रणवीर की खिंचाई कर हँसने लग जाते हैं | सुनहरी भी उन्हें देख चौंक जाती हैं | रणवीर अपने दोस्तों से सुनहरी का इंट्रोडक्शन करवा देता हैं | रणवीर सबको जल्दबाजी में 'बाय' कहकर लॅपटॉप बन्द कर देता हैं | और गले में अपना कॅमरा लटकाते हुए सुनहरी के साथ कसोल की सैर करने निकल पड़ता हैं |
          उस दिन के बाद रणवीर का सुनहरी के साथ घूमने जाना लगभग तय सा था | अब तो ऐसा लगने लगा था मानो रणवीर को सुनहरी की आदत होने लगी थी | दोनों एक दूसरे के साथ ईतना घुलमिल गये जैसे उनकी दोस्ती बहोत साल पुरानी हो | देवा उन्हें साथ आतेजाते देख मन ही मन उदास हो जाता | पर उसे पता था, सुनहरी से बात करना बेकार हैं | क्योंकि सुनहरी के दिल में देवा के लिए कोई जगह नहीं थी | और ये बात देवा अच्छी तरह से जानता था | सुनहरी से तो उसके घरवालों ने भी हार मान ली थी | घर में भी वो कभी किसीसे सीधे मुँह बात नहीं करती थी | बस्स..! जो उसे ठीक लगे वही करना उसकी बचपन से आदत थी | उसके भाई और बाबा सुनहरी को लेकर काफी फिक्रमंद थे पर सुनहरी अपनी जिंदगी अपने शर्तों पर खुलकर जीना चाहती थी |
          उस दिन ऐसे ही घूमते घूमते बड़ा खतरनाक हादसा होने से टला |  घने कोहरे से छाई पहाड़ियों की ठंड वादियों में रणवीर की चींख आसमान को चीरती हुई गूँजने लगी | सुनहरी ने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा पर रणवीर कहीं नज़र नहीं आ रहा था | उसका दिल काँप उठा | सुनहरी ने आगे बढ़कर देखा तो रणवीर कोहरे से ढकी खाई में अपनी जान बचाते एक पत्थर का सहारा लिए लटक रहा था | उसने बिना कुछ सोचे समझे अपना दुपट्टा उसकी ओर फ़ेंका और जैसे तैसे रणवीर को बाहर निकाला | दोनों बुरी तरह हाँफ रहे थे | रणवीर डर और ठंड से काँप रहा था | सुनहरी से लिपटकर न जाने कितनी देर तक वो वैसेही बैठा रहा | सुनहरी के दिल की धड़कने उसके कानों में बज रहीं थी | और उसकी गर्म साँसे रणवीर का माथा चुम रहीं थी | वो एकदूसरे के इतने करीब थे की,उनकी साँसे भी अब एक रफ्तार से दौड़ रहीं थी | पता नहीं कब कैसे रणवीर ने सुनहरी के होंठ चुम लिए | सुनहरी भी उसे मना न कर सकी | रणवीर उसके होंठों में अपने होंठ धसाते जा रहा था | और उसके हाथ धीरे धीरे सुनहरीके पूरे जिस्म को टटोलने लगे | वो दोनों पागलों की तरह एकदूसरे पर टूंट पड़े | रणवीर ने जैसे ही जीन्स की ज़िप खोली |
"रुको..! रुको..! वेट..!"
"व्हॉट..? क्या हुआ सुनहरी..?"
"आय एम नॉट वर्जिन."
"सो..! व्हॉट..? मैं भी नहीं हूँ.."
"तुम्हें सचमुच ईससे फर्क़ नहीं पड़ता ?"
"नो..! आय मिन.. हमें कौनसी शादी करनी हैं एकदूसरे से..| राईट..?"
"हम्म..! राईट..!" - सुनहरी ने गर्दन हिलाकर उसकी हाँ में हाँ मिला दी |
"क्या अब कुछ करें..?" - रणवीर के ईस कदर पूछने पर सुनहरी को हँसी आई | उसने खुदही अपनी कुर्ती उतार फेंकी | सुनहरी अब रणवीर की बाहों में पिघलती जा रहीं थी | उसका संगेमरमर सा गोरा बदन रणवीर चूमते जा रहा था | उसके पूरे बदन पर नजदीक से देखने पर  सुनहरे रंग के रोएं दिखाई दे रहे  थे | नसों में दौड़ता हुआ खून भी साफ़ दिखाई दे रहा था ईतनी वो गोरी, मुलायम और नाज़ुक थी | ठंड की परवाह किये वहाँ खुली वादियों में दोनों के बदन से मानो चिंगारियां उठ रहीं थी | शोलों से वे दोनों दहक रहे थे | यह जो भी हो रहा था वो प्यार नहीं हैं इस बात का ईल्म दोनों को था | दोनों बस्स एकदूसरे की जरूरत पूरी कर रहें थे | ईस पल के बाद सुनहरी और रणवीर के रिश्ते पूरी तरह बदल गये | ना दोस्त ना प्रेमी | अजीब सी भूख ने दोनों को बांधकर रखा था | ईस के बावजूद एकदूसरे पर भरोसे का नाता जुड़ते जा रहा था | ये उनके दरमियाँ पनपता ऐसा राज़ था जो उस छोटेसे गाँव में सुनहरी की इज्ज़त अपने साथ समेटे था | और जो रणवीर के लंडन वापस लौटते ही ख़त्म होनेवाला था |
          उस दिन के बाद रणवीर और सुनहरी सबकी नजरों से छुपते छूपाते कोठी पर रणवीर के कमरे में ही मिलने लगे | रणवीर के साथ पहली बार सुनहरी ने सिगरेट और व्होड़का का भी नशा चख लिया था | ये आज़ाद जिंदगी सुनहरी को पसंद थी | धीरे धीरे उनका बाहर आना जाना कम होने लगा तो देवा को ये बात सबसे ज़्यादा खटकने लगी | बाकी किसीकी नज़रों से छूट जाय पर देवा की नजरों से ये रिश्ता छुप न सका | पर वो फिर भी चुप था क्योंकि सुनहरी ने वो हक़ देवा को नहीं दिया था जिससे कि वो उसकी जिन्दगी में दखलंदाजी करें |
          आखिर रणवीर का लंडन लौटने का दिन नजदीक आने लगा | सुनहरी ने कसोल से जुड़ी सारी यादें रणवीर के लगेज में रखवा दी थी | रणवीर के जातेहि सुनहरी को भी दिल्ली अपना कॉलेज जॉइन करने जाना था | वो अपनी ही धुन में खुश नज़र आ रहीं थी | पर पता नहीं क्यों रणवीर को बहोत भारीपन महसूस हो रहा था | अजीब सा अहसास उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था | उस शाम जब सुनहरी उसे मिलने आयी तब जाकर रणवीर ने उसे अपने दिल की वो बात बयाँ कर दी जो सुनकर सुनहरी चौंक गई |
"आई थिंक सुनहरी, आय लव्ह यू..! आय नो तुम्हें अजीब लगेगा पर मैं क्या करूँ..? मुझे नहीं लगता मैं तुम्हारे बग़ैर रह पाऊंगा |"
"क्या बक रहे हो तुम रणवीर..? मैंने तुमसे पहले ही कहा था ना कि,प्यार, शादी-वादी ये सब मैं नहीं चाहती |"
"यस..! आय नो..! बट.. प्लीज ट्राय टु अंडरस्टँड माय फीलिंग्स, सुनहरी..|"
"स्टॉप ईट रणवीर..! पर मेरी तरफ़ से सब क्लियर था..| तुम्हे क्या लगता है ये कुत्ते बिल्लियों की तरह जब चाहा जिधर चाहा एकदूसरे के ऊपर चढ़ते रहना प्यार होता है ?"- सुनहरी गुस्से से जाने लगती हैं पर रणवीर जोरसे हँसते हुए उसे रोककर उसका हाथ थाम लेता है |
"क्यों..? गुस्सा हो..? हे..! जस्ट किडिंग यार, ओके..? चील..!"
"तुम मज़ाक कर रहे थे..?"
"या..!"
"अग़र फिर कभी ऐसा मज़ाक किया तो ईतना मारूँगी ना तुम्हें की..."
"फिर कभी...?" - रणवीर की आँखे नम हो गई |
"व्हिडिओ चॅट कर लेंगे ना यार ईतना सेंटी क्यों हो रहे हो ? याद तो मुझे भी तुम्हारी आएगी रणवीर पर इसका मतलब ये थोड़ी हैं कि, हम अपनी ज़िंदगी जीना छोड़ दे | कभी ना कभी जरूर मिलेंगे..|"
सुनहरी को गले से लगाकर रणवीर कुछ बहोत गहरी सोच रहा था | उसने ऐसेही कुछ सोचते हुए कहा |
"क्या लास्ट टाईम एक छोटासा सेक्स करें..?" - रणवीर सिरियस था |
"ये छोटासा सेक्स क्या होता हैं..?" - सुनहरी हँसे जा रही थी |
रणवीर ने अपने कपड़े उतारे और सुनहरी को चूमते हुए उसके भी कपड़े उतार दिए | सुनहरी के साथ बिताये रोमँटिक लम्हें हमेशा के लिए अपने साथ लिए रणवीर इंडिया छोड़ना चाहता था | रणवीर ने जानबूझकर अपना लॅपटॉप ऑन छोड़ा था | और उनके बीच जो कुछ चल रहा था सब रेकॉर्ड हो रहा था | कुछ देर बाद ईस सबसे बेखबर सुनहरी उसे गुडनाईट किस दे कर हमेशा की तरह वहाँ से चली तो गयी मग़र उसके जाते ही रणवीर को खालीपन महसूस होने लगा | उसने अपनी बॅग में पड़ी व्होड़का निकाली और आननफानन पीने लगा | लॅपटॉप पर रेकॉर्ड हुआ उनका सेक्स व्हिडिओ रणवीर बार-बार देख रहा था | के तभी उसके लंदनवाले दोस्त का व्हिडिओ चॅट रिक्वेस्ट देख रणवीर ने नशे में धुत उससे सुनहरी के बारें में बातें करनी शुरू कर दी |
"आय एम डिपली इन लव्ह ब्रो..!" - रणवीर सच में सुनहरी से प्यार करने लगा था |
"देन टेल हर..! यू ईडियट.."
"पर वो मुझसे प्यार नहीं करती...शी जस्ट यूज मी.. बीच..!"
"व्हॉट..? एक लड़की तुझे यूज करके छोड़ रही हैं..और तू कुछ नही करेगा ?"
"तो क्या करूँ..? आय हेट हर, बल्कि मुझे खुदसे नफ़रत हो रहीं हैं | तुझे देखना हैं ? मैं कितना प्यार करता हूँ उसे..?" - रणवीर नशे में बोले जा रहा था | और एक क्लिक में उसने बिना कुछ सोचे समझे सुनहरी के साथ बिताये वो खास लम्हें अपने दोस्त से शेअर किये | रणवीर पर नशे का अमल पूरी तरह छा चुका था |
            दूसरे दिन सुबह जब वो होश में आया तब अपने लॅपटॉप के सामने सुनहरी को बैठा देख उसे थोड़ा अजीब लगा | पर वो जैसेही उसके क़रीब गया सुनहरी ने बड़े प्यार से उसे गले लगाकर गुड़ मॉर्निंग किस दिया | लॅपटॉप की स्क्रीन बंद थी | और सब नॉर्मल था | रणवीर का सर हैंगओवर से भारी था |
"जाओ जल्दी से नहा लो | मैंने तुम्हारे लिए बाथटब में पानी भी निकाला है | गरमागरम चाय के साथ पकोड़े खाने चलते हैं |" - सुनहरी बहोत एक्साइट नज़र आ रही थी |
रणवीर ने अपने इलेक्ट्रिक शेव्हर से शेव्ह की | और नहाने गया | बाथटब के गर्म पानी में उसे सुकून महसूस हुआ | बाहर सुनहरी ने लॅपटॉप की स्क्रीन फिरसे ऑन कर दी | रणवीर और उसकी व्हिडिओ को एक के बाद एक लाइक्स आ रहे थे | सुनहरी का चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था | रात नशे में धुत्त रणवीर लॅपटॉप बंद करना भूल गया था और सुबह हमेशा की तरह जब सुनहरी आई तब लॅपटॉप पर आ रहे कमेंट्स को देख वो सुन्न पड़ गयी | उसके दोस्त ने रणवीर का व्हिडिओ चॅटिंग वाला आय हेट हर कॉनव्हेरसेशन भी अपलोड किया था | सुनहरी सब समझ चुकी थी || रणवीर ने उसे धोखा दिया था | सुनहरी का विश्वास तोड़ा था |
            मुहल्ले के लोग प्रतापजी की कोठी की तरफ़ भागे जा रहें थे | प्रतापजी की गाड़ी भी कोठी के आँगन में आ धमकी थी | किसना बौखला गया था | एम्ब्युलेंस सायरन बजाती हुई गेट से अंदर गई | देवा को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर हुआ क्या हैं..? लोगो  से पूछनेपर पता चला कि, लंदन से आये मेहमान की लाश मिली हैं | पर ये सब हुआ कैसे ? देवा पूछताछ किये जा रहा था | बाथटब में नहाते हुए ऑन किया हुआ इलेक्ट्रिक हेअर ड्रायर टब में गिरने से करंट लग कर रणवीर की मौत हो गई थी | देवा ये सब सुनकर बुरी तरह चौंक गया | वो उसी वक्त सुनहरी के घर की ओर दौड़ पड़ा पर सुनहरी से रास्ते में ही मुलाकात हो गई |
"सुनहरी..! सुनहरी..! वो रणवीर.."
"जानती हूँ..!"
"जानती हो..? मतलब..? तुम गई नहीं उसे देखने..?"
"देखकर ही आ रहीं हुँ |"
"तुम..? कैसे..? मग़र ये बात तो सबको अब पता...सुनहरी मेरी तरफ देखो | क्या तुमने ये सब..?"
"देवा..! शादी करोगे मुझसे..?"
"क्या..?"
"सही सुना..? शादी करोगे..?
देवा सुनहरी का सवाल सुनकर अंदर ही अंदर ख़ुशी से झूमने लगा था | आखिरकार सुनहरी ने हाँ कह दी | उसके लिए यहीं काफ़ी था |
"मैं घर बताकर आया |" - देवा भागते हुए अपने घर की ओर जैसे ही गया सुनहरी ने घांस में पड़ी बॅग को उठाकर झरने की ओर अपना रुख़ किया | झरने के पास जाते ही उसने रणवीर के सारे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स सी लदी उस बॅग को खोला और उसे आग लगा दी | आग में रणवीर के कॅमेरे के साथ उसके सारे सपने वो हसीन लम्हें धुँवा होकर जल रहे थे | आग की लपटों में सुनहरी को पानी में करंट से तड़पता रणवीर दिखाई दे रहा था | उसे वो सारा नज़ारा याद आ रहा था कैसे उसने रणवीर को उसकी इज़्जत से खेलने की सज़ा दी |
"कम ऑन जान..! जॉइन मी..!" - बाथटब में पड़े पड़े रणवीर उसे बुला रहा था |
"मैं नहा कर आई हूँ |" - सुनहरी ने बेरुखी से जवाब दिया |
"आखरी बार..! आज रात को तो मैं चला जाऊँगा.. आओ ना पास |"
" क्यूँ..? पर तुम तो हेट करते हो ना मुझसे..?" - सुनहरी के सवाल से रणवीर चौंक जाता हैं |
"व्हॉट नॉनसेंस..? मैंने कब कहाँ ऐसा..?"
"कल रात अपने दोस्त से क्या कह रहें थे तुम रणवीर ?"
"आय एम सॉरी यार वो मैंने थोड़ी ज्यादा पी ली थी |"
"हमारा सेक्स व्हिडिओ तुमने इंटरनेट पे डाल दिया, रणवीर ? पता भी इसका क्या अंजाम मुझे भुगतना होगा ?" - सुनहरी उसे लॅपटॉप दिखाती हैं |
"लिसन ! सुनहरी..! ऐसा कुछ नहीं होगा...तुम मेरे साथ चलो हम शादी कर लेते हैं | ओके..?"
"नॉट ओके..! तुमने मेरे साथ जो किया वो अच्छा नहीं हुआ रणवीर.." बातों ही बातों में सुनहरी ने पास ही पड़े हेयर ड्रायर का स्विच ऑन कर दिया था और पलक झपकते ही उसे बाथटब में छोड़ दिया था | बिना पीछे मुड़कर देख कैसे वो वहाँ से चली गयी थी |
               सुनहरी मन ही मन सोच रही थी | मर्द अग़र किसी औरत से सिर्फ़ जिस्मानी रिश्ता रखना चाहे तो वो सही हैं पर अग़र औरत ऐसा चाहे तो क्या वो गलत हैं ? मैं नहीं चाहती थी शादी करके बच्चे पैदा करने की मशीन बनाना | मैं चाहती थी अपने करिअर में कुछ बनना, नाम, शौहरत हासिल करना | तो क्या हुआ अग़र मैंने बिना प्यार किये, बिना किसी वादे के सेक्स किया..? गर मैंने प्यार किया होता और कोई मुझे छोड़कर धोख़ा देकर चला जाता तब मैं उसकी याद में तड़पती रहती तो क्या ये सही होता ? और जो रणवीर ने मेरे साथ किया क्या वो सही था ? सब जानकर भी अग़र मैं उसे छोड़ देती तो क्या ये मेरे साथ इंसाफ होता..? कोई मेरे लिए लड़े इतनी मैं कमजोर नहीं हूँ | मुझे अपनी लड़ाई लड़नी आती हैं |
        आग बुझ चुकी थी | और झरने से बहता पानी धीरे धीरे बचेखुचे कचरे को भी बहा ले जा रहा था | सुनहरी घर लौट आई थी | देवा से शादी के लिए राज़ी होने की ख़बर सुनकर घरवाले खुश थे | सुनहरी को पता था देवा उसे दिलोजान से चाहता था | और वो कभी उसके सपनों के बीच नहीं आएगा | सुनहरी ने सोचकर यह फैसला लिया था | क्योंकि उस दिन रणवीर के साथ जो हुआ था वो देवा जान चुका था | समझदारी ईसी में थी कि, देवा का हाथ थाम लिया जाय |

                          The End




               

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⏰ पिछला अद्यतन: Aug 03, 2021 ⏰

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