भय पर कैसे काबू पाएं : साक्षी भाव और स्वीकार करना

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जब आप किसी भय का सामना करें, तो उसका विरोध करने या उसे दबाने की कोशिश न करें। बस भय को देखे , भय को दर्ज करें और उसे स्वीकार करें। भय को स्वीकार करने से भय विलीन हो जाता है। भय को स्वंय को झकझोरने दें। अगर आपका शरीर कांपता है, तो उसे कांपने दें। आँखों में पानी है तो आँसुओं को आने दें। हवा में घास के तिनके की तरह बनो, जो बिना किसी प्रतिरोध के झुक जाता है।

एक छोटी सी कहानी : अंधेरी रात में एक आदमी तंग रास्ते पर चल रहा था। अचानक उसका पैर एक चट्टान से टकराया और वह ठोकर खाकर नीचे गिर गया। वह चट्टान पर लटकी एक शाखा को किसी तरह पकड़ने में सफल रहा। वहां पूर्ण अंधकार था। आदमी ने शाखा को कसकर पकड़ रखा था। वह सहायता के लिए चिल्लाया लेकिन उसकी प्रतिक्रिया मे केवल उसी की आवाज वापस गूँज रही थी। प्रतिध्वनि सुनकर वह व्यक्ति भयभीत हो गया कि कहीं वह किसी विशाल रसातल के मुहं पर तो नहीं है।

रात अंतहीन लग रही थी और वह आदमी इस उम्मीद में शाखा को पकड़े हुए था कि उसे कुछ सहायता मिल सकती है। अंत में भोर हो गई। उस आदमी ने नीचे देखा कि खाई कितनी गहरी है, लेकिन वहां रसातल नहीं था; सिर्फ दो फीट नीचे एक बड़ी चट्टान थी! आपका भय बिल्कुल उसके जैसे ही हैं, आपको लगता है कि यह एक रसातल है लेकिन वास्तव में यह कुछ ही फीट है। यदि आप अपने भय का सामना कर सकें तो आप देखेंगे कि उसमे कोई गहराई नहीं है। क्योंकि आप भय को बड़ा करते हैं, इसलिए आप रसातल होने की कल्पना करते हैं। यह आपका अपना चुनाव है - शाखा और भय को छोड़ देना, या उसके साथ चिपके रहना और खुद को पीड़ा देना।

अपरिहार्य चीजों पर विजय पाने का एकमात्र मार्ग है स्वीकृति। जब तुम स्वीकार करते हो, अचानक तुम देखते हो कि भय विलीन हो जाता है। जिस क्षण आप स्वीकार करते हैं, भय आपको भयभीत करने की शक्ति खो देता है। जब आप इससे संघर्ष नही करते हैं, तो आप भय को गहरी शांति के रूप में देखेंगे। जब भी भय का दौरा पड़े, तो उसे जीएं। यही एक मात्र मार्ग है।

जब आपके पास भय से जुड़ी कोई वस्तु हो, तो उसे स्वीकार करें। वह स्वीकृति ही रूपांतरण हो जाता है। जितना अधिक आप लड़ते हैं, उतना ही आप भय को सशक्त करते हैं। भय से अपना ध्यान हटाना भी कोई उपाय नहीं है क्योंकि तब भी भय आपके पास ही रहता है। इसका मतलब यह नहीं है कि आप भय से बाहर हैं।

भय को अपने ऊपर हावी होने दें। दो तीन बार भय में प्रवेश करें। बिना किसी हिचक के भय को तीव्रता से जिएं। अचानक आप पाएंगे कि यह अब आपको स्पर्श नहीं करता है!

~ एसपीएच जेजीएम नित्यानंद परमशिवम

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⏰ Last updated: Dec 16, 2021 ⏰

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