19 Dec 2021 देवी मारिअम्माँ और देवी दुर्गा अभिषेक और पदयाल अर्पण
पूर्वांग उत्सवम दिवस-1 : स्वामी नित्यानंद परमशिवम की 45 वीं जयंती के अवसर पर नित्यानंद परमशिवम देवालय आदि कैलाश में।
"महामारी अम्मन संपूर्ण प्रकृति की स्वयं को शुद्ध करने की विधि है।
समुद्र से जल तत्व सूर्य के अग्नि तत्व से शुद्ध होकर बादल बनता है और वर्षा बन कर बरसता है। जब वर्षा होती है तो यह भूमि तत्व को शुद्ध करती है और यह वायु तत्व को भी शुद्ध करती है। सभी पंचतत्व का स्वयं का शोधन करना वर्षा है। महामारी, पराशक्ति संपूर्ण प्रकृति का स्वयं शोधन है। उपवास सभी व्यक्तियों के लिए शुद्धिकरण की प्रक्रिया है"।
"सभी महान चीजें केवल मातृ से शुरू हो सकती हैं। यह परा शक्ति की उर्जा है। 'अहम' की पहचान का स्त्रोत। हमारी सभी पहचान चाहे आप गहन निंद्रा में हो या जागृत अवस्था में, तुरिया या तुरियातीता अवस्था, हम सभी मातृ से आते हैं और वापस मातृ में चले जाते हैं"।
- स्वामी नित्यानंद परमशिवम
देवी सूक्तम- रिग वेद 10.125
ऋषिका जिसने इस सूत्र को ब्रह्मांड से डाउनलोड किया: वागमभृनी
ओम् अहम् रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः।
अहम् मित्रावरुणोभ बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्विनोभ
अर्थात :
मैं (देवी घोषणा करती हैं) ही हूं जो रूद्रों और वसुओं का स्रोत है। मैं शक्ति हूं। मैं वह हूं जो इस ब्रह्मांड और सभी देवी देवताओं को गति और कार्य शक्ति देती हूं : मित्र, वरुण, इंद्र, अग्नि, विश्वदेव और अश्विनी।
मया सो अन्नमत्ति यो विपश्यति यः प्राणिति यैइम् शृणोत्युक्तम्
अमन्तवोमान्त उ पक्शियन्ति श्रुधिश्रुत श्रद्धिवन् ते वदामि
अर्थात :
केवल मुझसे ही, जो खाते हैं वह खा सकते हैं। जो देख रहे हैं, देख सकते हैं। जो सांस ले रहे हैं, वह सांस ले सकते हैं। जो सुन रहे हैं, वह सुन सकते हैं। मेरी उपस्थिति से अनजान होते हुए भी वह सब मुझ में ही निवास कर रहे हैं। इसलिए हे बुद्धिमान व्यक्तियों, सुनो, यह सत्य जो मैं बता रही हूँ।
संपूर्ण देवी सूक्त का अर्थ : https://www.mayiliragu.com/2021/08/devi-suktam-ambhrni-vak-suktam-word-to.html