चोरी से चुप क्यों है re
दूर है फिर भी पास जरा आरे
निंदिया तड़पाए लम्हा सताए
यूं ही बस तेरा याद ताड़ पाए re
क्या खुश हम हैं क्या खुश तुम हो
होके जरा खास मुस्कान एसी लाए re
बीत गई दिन रात
पर तेरी जानिब तक न दिखाई re
हो गई तु दूर चांद के खामोशी मैं
मुश्किल है जीना तेरा बिना जीना मरने मैं
रह गए हम मुसाफिर लेकर टूटे दिल के टुकड़े
धोंडे तेरी राह पर पन्ने नसीब के मिट गए
।छूटा हमारी जीना
जिंदीके उस मोड़
।।जिस मूड पे तू मिले थी उस मोड़ पे हम अपना दिल छोड़ आए।पके तुझको ख्वाबों मैं अखरी पल १०० साल जीलिए।
Song writer as we sang with the description above.
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