कम लगने लगे हैं

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जिंदगी ने जो गम सब हमको दिए हैं वो कम लगने लगे हैं इस गम मेंं जीने की जो आदत लगी तो जिंदगी कम लगने लगी हैं।
जिंदगी ने जो गम सब हमको दिए वो कम लगने लगे हैं।
धूप और छांव में जिंदगी है मेरी, मौत की बाहों में जिंदगी है मेरी,
रूक मैं सकता नहीं अब किसी छांव में,रूठी किस्मत मेरी प्यार की राहों में
वो जो नजारों से परदा किया करते, उनकी नजारों ने हम पे किये जो सीतम कम लगने लगे हैं।
जिन्दगी ने जो गम सब हमको दिए हैं कम लगने लगे हैं। इस गम में जो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तुमसे शिकायत रही बस एक बात की प्यार था ही नहीं तो क्यों मुलाकात की
तुम तो एक पल में इंकार कर सकते थे,फिर न होते जमाऩे में रुसवा हम ,
यह सितमगर की अदा तुम पे भाती  नहीं। पर शिकायत करना भी हमको आती नहीं,तुम तो कहते हो प्यार को तुम ने देखा है , पर मुबारक हो तुमने अभी कहां देखा। ये जो होता है तो फिर सब आसान है , प्यार हो जिसमें वह इंसान भगवान है। तुम तो कहते थे कि तुम कुछ कहते नहीं, हम कहने लगे हैं  ,देख के तेरा यह गम मेरे सनम , सब सहने लगे हैं, जिंदगी ने जो गम सब हमको दिए वो कम लगने लगे हैं,
देख के तेरा गम ए मेरे सनम सब सहने लगे हैं
जिंदगी ने जो गम सब हमको दिए, कम लगने लगे हैं इस गम में जीने की आदत लगी तो जिंदगी कम लगने लगी।
By
shivdayal madhukar

ग़ुस्सा इंसान को ताकतवर बनती है या कमजोर ? प्यार इंसान को ताकतवर बनाती है या कमजोर ? ज़िद्द ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;

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⏰ पिछला अद्यतन: Nov 29, 2023 ⏰

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