वो कोन है ?

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एक भयंकर युद्ध चल रहा है एक तरफ थे राक्षस,असुर ,भूत,डायन ओर दुसरी तरफ थे बिच्छूवंश के योद्धा । चारों तरफ कोहराम मचा था एसा लग रहा था की दानव जीत रहे हो बिच्छूवंश के योद्धा जेसे पीछे हट रहे हो उनी योद्धा मे से एक योद्धा जिसका नाम काशी है वो दूसरे योद्धा से कहता हैं की एसा ही चलता रहा तो हम लोग ये युद्ध हार जाएंगे। उस दुसरे योद्धा जिसका नाम वीरसिंग था उसने कहाकी अभी हार मत मानो अभिभी हम जीत सकते है फिर से काशी बोलता है की हम ऐसा युद्ध लड़ रहा है जो हम अकेले नहीं जीत सकते । तभी अचानक वहा बड़ा धमाका होता है हर जगह धुवा धूवा हो जाता जब वहा से धुवा हट्टा है तो सारे योद्धा देखते हैं की एक महारथी है जिस के हाथ में एक राक्षस का सिर है उसको देखते ही सारे योद्धा शूलवंश की जय हो ऐसे नारे लगा ने लगे ऐसे ही और रणभूमि में जगह जगह धामकें होने लगे और महारथी आने लगे जिसे युद्ध फिर से बिच्छूवंशी के पक्ष में जाने लगा।

एक भयंकर युद्ध चल रहा है एक तरफ थे राक्षस,असुर ,भूत,डायन ओर दुसरी तरफ थे बिच्छूवंश के योद्धा । चारों तरफ कोहराम मचा था एसा लग रहा था की दानव जीत रहे हो बिच्छूवंश के योद्धा जेसे पीछे हट रहे हो उनी योद्धा मे से एक योद्धा जिसका नाम काशी है वो दूसरे य...

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इन योद्धा को देख कर काशी वीरसिग से पूछता है की ये लोग कोन है जो आते ही इन असुर और दानव पर भारी पड़ने लगे l वीरसिग ने कहा की के ये शूलवंश के योद्धा है जो अब तक एक भी युद्ध नहीं हारी तो काशी पूछता है ऐसा क्यू तो वीरसीग कहता है की ये लोग जिसके अंदर रहकें युद्ध कला सीखी है वो इस ब्रह्माण्ड के सबसे ताकतवर योद्धा में से एक है। काशी फिर वीरसिग से पूछता है की वो योद्धा कोन है तो विरसिंग कहता है की वो ५ योद्धा है ध्रुव , युग ,सुमेर , रुद्र ओर अनन्या ।

दुसरी तरफ एक असुर जिसका नाम प्रहस्त था वो जल्दी जल्दी युद्धभूमी से दूर जरा रहा था वो बहुत गभराय] हुआ था । युद्धभूमी से दूर शिविर थे वो एक शिविर मे जाते ही कहता सेनापतिजी वो लोग या गए है । वो सेनापति केहता है मुजे इसी पल का इंतजार था । प्रहस्त ने कहा की सेनापतिजी उन लोगों ने युद्ध कर रुख पलट दिया है जेसे ही सेनापति ये सुनता है वो गुस्से बोलता है प्रहस्त को की ऐसा तुमको लगता है । सेनापति केहता मुजे इसी पल तो कबसे इंतजार की कब मे अपनी तलवार उस ध्रुव का सिर को काटने का । तभी तो महाराज ने मुजे ये अवसर दिया की मे इस सेना का सेनापति बनू ओर उनके दूषमनो को खतम करडु। प्रहस्त केहता ही की एसा पहले तो कभी हुआ नहीं के यू अचानक शूलवंश के योद्धा युद्ध लड़ने आए हो । सेनापति केहता है ये सोचने लायक बात तो है पर मुझे क्या मुझे तो बस महाराज का मकसद पूरा करना है । प्रहस्त फिर से डरते हुवे पूछता है की मैंने सुना है की आप भी पहले बिछुवंशी थे । इतना सुना की वो गुस्से से प्रहस्त को देखने लगा प्रहस्त दर के मारे कांपने लगा वो सेनापति से माफी माने लगा और बोला की मुझे माफ कर दीजिए और बोला की में भी गधा हूं कैसे आपको सवाल कर सकता हू दुसरो की बातो में आके सेनापति प्रहस्त को शांत रहने को बोलता है फिर केह्ता की उसने जो ही सुना है वो सही है जैसे ही प्रहस्त ये सुनता है उसको लगा है जैसे उसके पैरो तले जमीन खिसक गई हो । वो सोचने लगता है की अभ तक उसने जो भी सुना था वो सच था वो मन में कहता की ऐसा मुकीन नहीं है की कोई बिछुवंशी कलेसामराज्य को अपना कर शैतान की पूजा करे और अपनो के खिलाफ ही लडे। सेनापति ने देखा की प्रहस्त अपने ही खयाल में खोया हुवा है वो समझ जाता है की वो क्या सोच रहा है । सेनापति कहता है प्रहस्ट से की मुझे पता है की तुम क्या सोच रहें हो प्रहस्त सवालिया नजरों से सेनापति को देखता जैसे उसे जानना हो की सेनापति ने अपने ही लोग को धोका क्यू दिया सेनापति ये समाज जाता है और बोलता है की तुम को यहीं जानना है की मेने कलेसामराज्य को क्यों अपनाया और अपने ही लोगो को क्यू धोका दे रहा हु प्रहस्त हा में सिर हिलाता है सेनापति कहता कि मुझे तो उन लोगो ने ही ऐसा बना दिया उन लोगो में कुछ ऐसा भी है जो दुसरे की कमियाबी पर खुश होते है पर कुछ ऐसा भी जो तुम्हे आगे बढ़ता देख नही सकते वो तुमसे जलने लगते है मेरे साथ भी ऐसा हूवा था पहले तो सब काफी खुश हुवे मेरी कमियाबी देख कर पर जब उनको पता चला की मुझे युद्ध अभियाश वो सीखा रहा है वो लोग मुझसे जलने लगे और तरह तरह की बाते करने लगे प्रहस्त बीच में बोलते हुवे कहता की वो कोन सेनापतिजी उसका नाम तो होगा ना । सेनापति केहता की वो था एक महान योद्धा जिसके सामने आज तक कोई भी टिक नहीं पाया उसने शैतान तक को हराया है तुम जो ये कलेसामराज्य इतना फैला हुवा देखते ही न वो इतना फैला भी ना होता अगर वो होता तो हम अभी असुरलोक में होते अगर वो होता तो । प्रहस्त जैसे ही ये सुनता है की उसने शैतान को हराया है और अगर वो होता तो हम अभी असुर्लोक में होते वो सोचने लगता है की ऐसा तो कोन जिसके बारे में उसे पता नही अभी तक प्रहस्त केहता है तो वो योद्धा अभ कहा है और उसका नाम क्या है । सेनापति कहता उसको १०० साल पहले कैद करडिया था और हम उसका नाम नही ले सकते । प्रहस्त पूछता है क्यू सेनापति बोलता केहते उसका नाम लेने से उसका अभिश्राप टूट जाएगा । अगर वो इतना ही शक्तिशाली था तो उसको कैद क्यू किया ओर कैद किया तो किया उसको अभिश्राप क्यू दिया । सेनापति केहता है उतना तो मुजे नहीं पता क्यू की मे वाहा पे नहीं था जब ये सब हो रहा था मुजे बस इतना पता है की उसको कैद करने के पीछे कलेसामराज्य ओर शूलवंश दोनों का हाथ था ओर उसको अभिश्राप इसलिए दिया क्योंकि वो अपनी कैद से बाहर ना आसके। उसको अभिश्राप इसलिए दिया क्यू की जब उसे कैद किया था तब उसने कहा था की जो भी उसको सच्चे मन से याद कर के बुलाएगा वो वापस जरूर आयेगा उसकी मदद करने के लिए । प्रहस्त एक ओर सवाल पूछता उसे पहले सेनापति केहता की ये बाते बाद में भी होती रहेंगी अभी ये युद्ध जीतना जरूरी है।

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⏰ पिछला अद्यतन: Oct 25, 2023 ⏰

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