मै रोजाना की तरह सुबह 4:30 पे निकल गया हनु मेरी गली से ही मेरे साथ आया और आगे वाली गली मे हर्षित और यश मिले हम रोज की तरह दौड़ने गए नहर तक , व्यायाम करने के बाद वापस आ गए |एक दिन रोज की हम वहाँ बेठे थे रोज की तरह बैठे थे हनु ने कहा बहुत दिन से कूछ रोमांचक नहीं किया हर्षित ने कहा भूतों से वार्तालाप कर ले क्या मैंने हसते हुए कहा कॉल लगाओ भूत से कर लेते है बात हम सबको एक आहट सुनाई देती है हम सतर्क हो जाते है और देखते है लेकिन ज्यादा होने के कारण कूछ दिखता नहीं है थोड़ी देर बाद एक आदमी आता है जो देखने मे पास के गाव का एक किसान मालूम पड रहा होता है वो हुमसे पास आकार बेठ गया
और हुमने उसने बात-चीत शुरू की , हनु पुछता है चाचा यहाँ कोई एसी जगह है जो सुनसान हो हम एक रात वहाँ रह सकते हो मतलब एसी जगह जहा भूत रहते हो
उन्होंने अपनी जेब से बीड़ी का एक बंडल निकाला और सभी जेब को हाथ से छूकर देखने लगेअरे ! माचिस तो घर रह गई
वो पूछते है > तुम्हारे पास माचिस है क्या ?नहीं हमे माचिस की जरुरत नहीं पड़ती खैर छोड़ो ! और वो बीड़ी के बंडल को जेब रख लेते है और बताना शुरू करते है इस नहर के किनारे किनारे जाना करीब चार किलोमीटर दूर पे एक गाव मिलेगा छोटा से उसके 2 किलोमीटर बाद एक फैक्ट्री है
जो करीब 30 साल से बंद है वहाँ 30 साल पहले एक दुर्घटना हुई थी
जिसकी वजह से 70 से ज्यादा लोग मारे गए थे
फिर हम उनसे उनके बारे मे पूछते है और घर वापस आकार योजना बनाते हैआज रात मे वहा जाकर रुकने की और समान रखकर शाम को 4 बजे घर से निकलते है कहकर की रात मे दोस्त के घर रुकेंगे हम साइकिल से 1 घंटे मे उस कारखाने के बाहर पहुच जाते है
यहाँ चारों तरफ एक 9 फुट ऊंची दीवार थी और दो गेट थे जिनमे से एक का ताला पहले से टूटा हुआ था यहाँ कूछ बड़ी जगह थी जिनमे ऊपर से टीन पड रही थी और दो पक्की इमारत भी थी जो कारखाने वाले क्षेत्र से दूसरी तरफ थी
हम करीब 1 घंटे तक वही बाहर घूमते रहे 6 बज चुके थे अंधेरा होना शुरू हो चुका था ठंड बडती जा रही थी हम एक खाली जगह पर आग जलाकर मैगी बनते है और पेट भर कर गरमा-गरम मैगी खाते है अब तक कोहरा पडना शुरू हो चुका था हम टॉर्च निकलते है