वह एहसास कुछ खास था जो शब्दों में बयां नहीं हो सकता था इसका एहसास मानो ऐसा लगता था जैसे दो जिस्म एक जान हो।
प्यार की पहचान मानो उसी से हो रही हो पता नहीं क्यों उसके बिना मन बेचैन सा रहता था जैसे बहुत सी चीज मैं उसको बताना चाहता हूं पर मैं कभी बात नहीं पता था इसलिए यह एहसास कुछ खास सा बन गया है प्यार में तकलीफ भी होती है पर उसे प्यार के सामने वह तकलीफ छोटी होती है।बस यही मन था मेरा की उसको मैं पा लूं और अपना बनालू हर चीज मैं उसके साथ करना चाहता था ।
जैसे अपने हाथो से खाना खिलाना चाहता था
अपने हाथो से उसके पैरो में पायल पहनाना चाहता था। उसको अपनी गोद में सुलाना चाहता था और उसके बालो के साथ खेलना चाहता था। उसके साथ किचन में हाथ बटाना चाहता था। और भी बहुत कुछ उसके साथ करना चाहता था।एहसास का यही तो दिक्कत है को लोग समझ नही पाते इसलिए सच्चे प्यार करने वाले लोग अकेले रह जाते है।
कभी-कभी दुनिया बुरी लगने लगती है लोग पूरे लगने लगते हैं किसी पर विश्वास करने का दिल नहीं करता है कभी-कभी दिल करता है कि अकेले ही चलो पर जब भी उसको देखता हूं सोचता हूं मेरे जीने की उम्मीद उसमें दिखती है बस यही सोच कर जीता उसको पाना है अपना बनाना है उसके साथ रहना है यही तो इश्क है ।