वो बर्फीली रात पार्ट-7

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पर उसका व्यवहार वहां बहुत अच्छा था। मुझे लगा की वो तैयार है
और वो अपनी ही पसंद से तो मेरे लिए सगाई का गाउन लाया था।
तो वो सब क्या था। ये सब सवाल में खुद से पूछ रही थी। जो मुझे आदित्य से पूछने चाहिए थे। मेरी आखें भर आई थी।

तभी मेरे फोन की रिंग बजी। मैंने देखा मम्मी का कॉल था। मैं कॉल
को रिसीव नहीं कर पा रही थी। मैं मम्मी से क्या कहूंगी। क्या बात करु अब रह ही क्या गया हैं।मैंने कुछ पल तो फोन उठाया ही नहीं, मम्मी का कॉल आते देख मेरी भरी हुई, आखों से आंसू छलक गए।

मैंने अपने गालों पर लुढ़कते हुए। आंसू को पूछा और कॉल उठा ली। उधर से मम्मी की आवाज आई। बेटा तुम पहुंच गई। और सब ठीक है। आदित्य ने तंग तो नहीं किया।

मम्मी के इतने सारे सवालों को सुन कर मेरा गला भर आया। मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी। की मम्मी ने फिर कहा बेटा नैंसी सब ठीक तो है न,, मैं ने खुद को संभालते हुए कहा है। हां मम्मी यहां सब ठीक है।

मम्मी ने मेरी आवाज पहचान ली थी। वो बोली नैंसी बच्चा तू रो रही हैं। मत रो बेटा, मुझे पता है। तुझे हमारी याद आ रही होगी।
वहां तेरी जिंदगी की नई शुरुआत होगी। तू अच्छे से रहना।

अपना और आदित्य का ख्याल रखना। उन्हें क्या पता था। मेरा यहां सब उजड़ने को था। फिर मैंने खुद को संभालते हुए कहा ठीक है मम्मी, अब मैं फोन रखती हूं, मुझे नहाने जाना है। फिर करती है।

और फोन रख दी, की तब तक काकी आ गई। वो बोली बेटा खाना बस बन गया है। तो तुम जल्दी तैयार हो के नीचे आ जाओ। ओके काकी आती हूं, मैने कहा,,

फिर मैं जल्दी से फ्रेश होकर तैयार हो गई। और नीचे नाश्ते के लिए पहुंच गई। काकी टेबल पर नाश्ता लगाए मेरा ही इंतजार कर रही थी। मेरे पहुंचते ही काकी ने मुझे चेयर पर बैठते हुए कहा, जल्दी से नाश्ता कर लो तुम्हे भूख लगी होगी।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा,, " हां काकी भूख तो बहुत जोर से लगी है "
और काकी हंसने लगी ,,बोली मुझे पता था। वो बिल्कुल मेरी मां जैसी थी।

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