मै -- चलो अब हम लोग मॉर्निंग वाक के लिए चलते हैं, मैं सपना को भी बुलाता हूँ.मैं -- बहुउउउ.....सपना -- जी बाबूजी आयी..
सपना पहले से ही एक पिंक कलर का मिड ड्रेस पहनी हुई थी। उसकी गोरी और मोटी जांघें सुबह-सुबह हमे पागल बना रही थी..
सपना -- बाबूजी मैं तैयार हूँ चलिये!
सपना और मैं मॉर्निंग वाक के लिए निकल पड़े. बहु मेरे आगे-आगे चल रहे थे और मैं पीछे बहु की गांड पे नज़र गड़ाए चल रहा था. मैं सोच रहा था के कल रात जो भी हुवा उसके बावजूद बहु कितने आराम से बातें कर रही है, जैसे मानो कुछ हुवा ही ना हो. क्या ये मेरी बहु है जिसके मुँह पे कल रात मैंने अपने लंड का पानी निकाला था.. क्या मेरे बेटे ने कभी भी मेरी बहु के मुँह में अपना पानी छोड़ा होगा? मेरे अंदर काफी सारे सवाल आ रहे थे, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था के मैं अपनी बहु के साथ इतना कुछ कर सकूंगा वो भी इतनी जल्दी. बीटी रात की बात सोच मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं जैसे तैसे वाक पूरा कर घर आ गया.
दोपहर 1 बजे हम डाइनिंग टेबल पे बैठ कर लंच कर रहे थे. मेरी बगल में बहु वाइट कलर सलवार सूट पहन के बैठी थी हम कुछ-कुछ बातें कर रहे थे, मैंने बातो ही बातों में अपना एक हाथ बहु की जांघो पे रख दिया. बहु ने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया, मैंने फिर से बहु की जांघ पे हाथ रख दिया और सहलाने लगा. इस बार बहु चुपचाप थी और अपनी नज़र झुकाये लंच करती रही.
मैं -- बहु जरा रोटी देना एक और.. (ऐसा कहते हुवे मैं अपना हाथ बहु की बुर के पास ले गया और जोर से दबा दिया )।
सपना -- ये लीजिये बाबू जी..
मैं -- डबल मीनिंग में वाह बहु... तुम्हारी रोटी कितनी गरम और फूली हुई है.. (मैंने बहु की बुर वाइट सलवार के ऊपर से सहलाते हुवे कहा..)