वो बर्फीली रात पार्ट -9

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मुझे एक दम से याद आया अरे नही मैं तो उसे आज नाश्ता बनाकर खिलाने वाली थी। और लेट हो गई । मैं उसके सामने बस ऐसे ही उठकर चली आई। कितना अजीब लग रहा था। वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में ,,

फिर मैं रेडी होकर अपने लिए नाश्ता बनाने लगी। खाने पीने का स्टोरेज भी खत्म होने वाला था। और काकी को एक हफ्ता हो गया। वो काम पर वापस ही नही आई। मैं बहुत चिंतित थी उनके लिए। काकी ठीक तो होंगी न,,

पर मेरे पास काकी का नंबर नहीं था, जो मैं कॉल करके उनका हाल-चाल पुछलु यहां तक मेरे पास तो आदित्य का भी नंबर नही है। जो उसे कॉल करके काकी का नंबर ले लु,,

यहां घर का सारा काम खत्म हो गया था। और मैं बोर हो रही थी। मेरे फोन में बैलेंस भी नही था, जो मैं मां को कॉल कर के बाते कर लू बड़ा अकेलापन सा लग रहा था। और आदित्य से रिचार्ज के लिए कहने की हिम्मत नहीं होती।

वैसे मैं हमेशा अकेले रहना पसंद करती थीं। लोगो से दूर भागती थी। सारा समय खुद के साथ बिताती थी। मेरे साथ समय भी घोड़े की रफ्तार से दौड़ता था। जैसे वो मेरे साथ रेश लगा रहा हो।।

पर आज वक्त जैसे रेंग रहा हो, क्या यहीं जिम्मेदारी होती है। जहां खुद को भूल कर बस दूसरा याद रहे। मुझे बस सारे दिन आदित्य की चिंता रहती। मन करता की मैं उससे बात करू पर उसे देख कर हिम्मत नही होती। वो अभी भी मेरे लिए अनजान सा था।

की मेरे फोन की रिंग बजी मैंने फोन देखा unknown number था। मैंने कॉल उठाया, hallo है कौन, उधर से आवाज आई। Hallo नैनसी मैं आदित्य,, मैंने हिचकिचाते हुए कहा है। "हां कहिए"

आदित्य ने कहा तुम्हारा अभी 12 se intrans exam है। तो तुम्हें univarsity आना होगा। तुम रेडी हो जाओ मैंने काका से बोल दिया है। वो तुम्हे लेने आते होंगे। तुम उनके साथ यूनिवर्सिटी चले आना।

मैंने कहा ok, और आदित्य ने फोन रख दिया। और मैं exam देने के लिए रेडी होने चली गई। की तभी काका आ गए। मैंने कहा बस 5 मिनट रुको काका मैं अभी आती हूं,,

फिर मैं जल्दी से रेडी हुई। और काका के साथ यूनिवर्सिटी पहुंच गई। आज मेरा सपना पूरा हो रहा था। हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का, मैं matchemetics की स्टूडेंट थी। इसलिए हुशियार तो बहुत थी। मैंने अपना डिपार्टमेंट ढूंढा और इंट्रेंस देने बैठ गई। मैं intrans एग्जाम देने वाली अकेली ही थी।

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