अकेलापन बहुत वाहियात चीज है ,अकेले में हंसना पागलपन लगता है ,
और रोना फालतू ।
हम खुशियां चाहते है उसके लिए भी जरूरी लगता है रोना ,
रो लेना ।
रोना हम चाहते नहीं है क्योंकि उसके लिए चाहिए एक कंधा ।
कंधा जो रोने दे ही न
और अगर रो दे हम तो रोता हुआ न जाए छोड़कर ।
छोड़कर जाना नहीं रहा होगा आसान कभी भी
लोग जाते होंगे अपने लिए एक कंधे की तलास में
वो कंधा जो उन्हें रोने ही न दे
फिर रोते ही वो कंधा भी निकल जाता है अपने लिए एक कंधे की तलाश में , और बचा रहता है अकेलापन हमेशा ।
अकेलापन सच में बहुत वाहियात चीज है ,
हम चाहते है रोने के लिए एक कंधा जो हमे रोने न दे।
और चाहते है साथ में हसने वाला जो हम पर न हंस रहा हो ।- अभय