यह कहानी सच्ची घटनाओं पे आधारित है। ये मेरा अनुभव है की मेरा जीवन मेरा समाज को समझने के लिए।मेरा एह कहानी मेरे अगले पीढ़ी को मादत करेगा।
मैं कौन हूं मैं हिंदू धर्म सत्र के अनुसार भगवान 4 वर्ण बनाए। ब्रह्मण, छत्रीय, ब्यस्य ओर शुद्र। क्या मैं शुद्र हूं नहीं में अवर्ण हूं (अछूत)।
मेरा जन्म 1986 जून 17 को हुआ। ओडिशा राज्य के सुंदरगढ़ जिल्ला में।
जन्म से सभी अज्ञानी होते हैं।चाहे वो ब्राह्मण हो या छत्रिय या बस्या या शुद्र। उनका प्रथम गुरु ही उनका भगवान है।जो उनको ज्ञान देते हैं। प्रथम गुरु मातापिता दितिया समाज जो की चाचा,मामा, फूफा, दादा,दादी,नाना,नानी उनके वाद एह दुनिया।
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