'🪔दीप जलता है '🪔

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        दीप जलता है ख़ुद रोशनी के लिए
कुछ तमन्ना नहीं उसकी अपने लिए

महफ़िल सजाई उसने जहाँ के लिए
और न माँगी दुआ कुछ अपने लिए

मंदिरों में जला देवता के लिए
थालियों में सजा अर्चना के लिए

छोड़ अपने गए जब वियाबान में
कब्र पर भी जला रोशनी के लिए

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