समाज के प्रति वफादार रहो

2 1 0
                                    

समाज एक तो इंसान से नहीं बनता कई लोगों से बनता है उसी को ही हम समाज कहते हैं कुछ भी हो जाए हमें हमारे समाज के खिलाफ जाकर कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे दूसरों को तकलीफ हो अच्छा वक्त हो या बुरा समाज के साथ खड़ा रहना हमारा धर्म और कर्तव्य है।

समाज में यदि झगड़ा भी हो जाए तो समाज के लोग बिखर ना हो जाए उसका भी ध्यान रखना चाहिए यदि समाज में कोई बूरा काम करे तो उसे समाज से बेदखल किया जाता है लेकिन फिर उसे इंसान में समाज के प्रत्यय नफरत आ जाती है ।

जहां पर समाज होगा वहां पर झगड़ा तो जरूर होगा लेकिन उसे झगड़े को अपने समाज तक की सीमित रखना क्योंकि बाहर आकर उसे आग लगने में देर नहीं लगेगी और जहां पर आग होगी वहां पर लोग घी डालने आई जाएंगे

अपने समाज में वफादार रहो सबसे प्यार से बात करो  अपने समाज का अच्छा हो ऐसी सोच नहीं रखनी चाहिए प्यार को नफरत मिटा सकती है लेकिन नफरत को नफरत नहीं मिटा सकती।

आप प्रकाशित भागों के अंत तक पहुँच चुके हैं।

⏰ पिछला अद्यतन: Nov 03 ⏰

नए भागों की सूचना पाने के लिए इस कहानी को अपनी लाइब्रेरी में जोड़ें!

समाज के प्रति वफादार रहो जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें