यह कहानी है तीन दोस्तो की जो कि एक गांव में रहते थे।
तीनों गरीब घर से ही थे लेकिन उनकी दोस्ती में बहुत अमीरी थी
साथ रहना खेलना कूदना एकदुसरे का साथ देना ।तीनों में से पहले का नाम नितिन और अर्जुन था और ये दोनों बहुत शरारती और लड़किया बाज थे। और तीसरे का नाम नवीन था जो कि बहुत ही शांत और समझदार लड़का था। नितिन उम्र में थोड़ा बड़ा था उसकी उम्र 23 थी। और नवीन 22 वर्षीय था और अर्जुन 21 वर्षीय मतलब तीनों में बस 19 - 20 का फर्क था।
एक बार की बात है जब हमारे गांव में गणपति बाप्पा बैठाए गए थे।
9 दिन था। वैसे तो हम हर रोज गांव में गणपति बाप्पा की आरती के लिए जाते थे लेकिन आज आखरी दिन था इसीलिए जाना जरूरी था किसी भी हाल में। शाम को सात बजे गणेश जी की आरती हुई और प्रशाद के लिए हम थोड़े रुके थे, तभी अर्जुन हमें कहता है सुनो तुम में से कोही भी एक जन मेरे हिस्से का प्रशाद ले लेना में नीचे दुकान से आता हु जरा काम है ठीक है।हमने कहा ठीक है, और वो नीचे चला गया। काफी देर हो गई लेकिन प्रशाद लेके कोही हम तक आया नहीं इसीलिए नवीन ने अर्जुन से कहा,,
नवीन : अर्जुन चल नहीं तो देख रात होने वाली है। अब कब तक यही रुकेगा..!
अर्जुन : अरे जरा रुक ना ; घर जाके भी तुझे क्या काम है बच्चो को दूध पिलाना है क्या ।
नवीन : नहीं लेकिन अब कबतक यहां रुकेगा देख प्रशाद भी नहीं दिख रहा है आज, शायद खतम हो गया चल चलते है।
अर्जुन : अरे ऐसे कैसे खतम हो गया हमने चखा भी नहीं और खतम हो गया, जरा सामने देख कोही तो प्रशाद की थाली लेकर आ रहा है
शायद कोनो लड़की बा.. मजाक करता हुआ।तभी पीछे से रास्ते के उस तरफ से नितिन कविन को आवाज देता है।
नवीन नितिन की आवाज सुनकर पीछे मुड़ता है और उससे कहता है हा बस आ रहे है। तभी सामने से कोही नवीन को कहता है प्रशाद लीजिए।
नवीन का ध्यान पीछे था इसीलिए और और नितिन से बात कर रहा था इसीलिए उसने सामने से दिए गए आवाज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन तभी अर्जुन ने नवीन के पैर पर जोर पर दिया।
