अब यह मालूम हुआ कि… हमें स्कूल के दिनों से ही हमें या हम सभी स्टूडेंट क़ो यही बातें ज्यादा समझाया और बताया जाता है। कि तुम कभी यह प्यार व्यार के चक्कर में मत होना यह प्यार मोहब्बत कुछ नहीं होता समझे… बस दिमाग की गलतफहमी है। मगर हम या आप क्या समझें…?
मेरे नजरिए से समझे " किसी के प्यार में गिर जाने पर हम बल गुरुत्वाकर्षण को दोष नहीं दे सकते। क्योंकि यह आपके नायिका के चेहरे की वह खूबसूरती ही है। जिसे नजर जोर से खींचती है। तब आप इसमें गिरने से खुद को रोक नहीं सकते"
ऐसा ही कुछ हुआ। अब मुझे स्कूल जाते हूए दो, तीन चार दिन हो गए थे। धीरे-धीरे क्लास के कुछ लड़कों से बोलना हुआ मेरा। पऱ वही लड़कियां, जो ज्यादा कुछ ना कहती।
स्कूल के इंटरवल बल समय था। बाहर फील्ड में कुछ बच्चे खेल रहे थे। तो कुछ वही साइकिल चला रहे थे। जो गोल गोल सकिल क़ो घूमते जाते है। मैं यह सब देख रहा था। कुछ मेरा भी मन किया। सकिल चलाने का, पर मैं अब भी खड़ा था।
कोई लड़की जो सकिल चला रही थी। अब वह सकिल से उतरकर किसी और क़ो दिया। और किनारे जा के खड़ी हो गई। थोड़े समय मे उसी लड़की ने मुझसे कहा,
"चलोगे …जाओ चलाओ "
ऐसा कहते मुझे देखती है। अब यह सुनते मैं ख़ुश हो गया। क्योकि मैं कब से यही चाह रहा था। सबको सकिल चलाते दिखाऊ
मै आगे बढ़ा, और साइकिल चला रही लड़की रुकी … और सकिल से उतरते हूए मुझे थमाया। साइकिल को पकड़े, मुझे थोड़ी घबराहट होई पर मै उसपे बैठ गया।
सामने कुछ लड़के लड़कियां दिखे। और एक बगल खड़ी वह लड़की भी जो मुझे थोड़ी नजाकत से देखती है। मैं मुड़ा और देखा की मेरी बहन और समी रानी भी मुझे देख रहे हैं। जो दूसरी बगल खड़े थे।
अब मैं साइकिल क़ो चलाने लगा। थोड़े डगमगते सीधे चलाने लगा। वही सभी खुश होते है, मुझे देख करके वह लड़की भी। यह मुस्कुराते हुए। अब क्लास के अंदर चली गई।
स्कूल के घंटों के बाद, जब सब अपनी-अपनी क्लास में लौटे, तब मैंने महसूस किया कि कुछ अलग हो गया है। कुछ लड़के अब मुझसे बात करने लगे थे। और हां, लड़कियों के बीच भी कुछ खुसर-फुसर होने लगी।
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Doctor Doctor, khel me
Teen Fictionडॉक्टर डॉक्टर वाला खेल तो हम सभी ने बचपन में बहुत खेला होगा। है ना ... क्या टीम होती थी हमारी, घर और पड़ोसियों के बच्चों को मिलाकर, जिनमे हम लड़के और लड़कियां कुछ बच्चे भी शामिल होते थे। हम मे कोई फर्क नहीं करता था। कि हम लड़कियों के साथ है। क्योंकि...