सोच समझ कर चलना जनाब ये
किसी का लिहाज नहीं रखती है
कभी कम बोलती है कभी ज्यादा बोलती है कभी
ऊंचा बोलती है कभी निचा बोलती है
ये कई बार अपनों से भी दूर करवा देती है
मैंने माना कि ये कोई घातक हथियार नहीं मगर हा
हथियार से काम पावरफुल भी नहीं अफसोस की बात है मगर
क्या करें ये तुम्हारे भी पास है हो सके उतना काबू में रखना इसे क्योंकि इसने ना चाहते हुए भी युद्ध करवाए हैं और तो और भाई भाई में भी
दुश्मनी करवाई है इसने सोच समझ कर चलना जनाब
अरे ये कोई और नहीं ये तो आपकी अपनी
चमड़े की जुबान है,,,✍️धीरज सिंह परिहार
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चमड़े की जुबान 👅
Poetryसोच समझ कर चलना जनाब ये किसी का लिहाज नहीं रखती है कभी कम बोलती है कभी ज्यादा बोलती है कभी ऊंचा बोलती है कभी निचा बोलती है ये कई बार अपनों से भी दूर करवा देती है मैंने माना कि ये कोई घातक हथियार नहीं मगर हा हथियार से काम पावरफुल भी नहीं अफसोस क...