झीलों का शहर भोपाल
भोपाल के बिच में, जहां बीते हुए कल की गूँज आज की परछाइयों के साथ मिलती है, वहां एक महल खड़ा हे।
इसकी बनावट, इंडो-इस्लामिक और यूरोपीय शैलियों का एक आकर्षक कर देने वाला ताल - मेल हे, जिसे 1830 के दशक में बेगम के लिए शादी के तोहफे के रूप में बनाया गया था ।
भोपाल में नवाबों के समय का एक पुराना महल।
एक डरावना राज़ छिपा हुआ है, जिसे जानने की हिम्मत बहुत कम लोगों ने की है।भोपाल शहर, जो झीलों के बीच बसा है, वहां एक पुरानी और जर्जर हवेली के बारे में कई डरावनी कहानियाँ मशहूर हैं।
कहा जाता है कि उस हवेली में कुछ लोगों की आत्माएँ भटकती हैं, जो कई साल पहले वहीं मर गए थे। एक रात, तीन दोस्तों के ग्रुप ने, उस रहस्यमयी हवेली का पता लगाने का फेसला किया, और वे एक अंधेरी रात में वहां जाने के लिए निकल पड़े।
पहले ग्रुप में जैज़लिन थी जिसे लगता था के उस महल मे किसी न किसी का साया हे जिस बात को लेके उसने अपनी दोस्त हूमैरा को ये कहा कि वो इस बात को साबित करके दिखाए ,उन दोनो के साथ उनका दोस्त हमज़ा भी हे
दूसर ग्रुप में अफान था, जो खतरे में रोमांच ढूंढता था; आइजा, उसकी बहन जो उसे साथ जाने के लिए मजबूरी में तैयार हुई; और नोमान, जो शांत स्वभाव का था और हमेशा किनारे पर रहकर सब देखता था।
तीसरे ग्रुप में हुमा थी, नई-नई भूत-प्रेत की जाँच करने वाली, जो अपने सामान के साथ थी; लारेब उसका सबसे अच्छा दोस्त जो उनकी दिलचस्प घटनाओं को कैमरे में रिकॉर्ड करता था; और राऐज़ेल, जो एक भावनात्मक व्यक्ति थी
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ये बात है रात की
Horror•पढ़ते समय अगर वर्तनी की गलती हो जाए तो मुझे माफ कर दीजिएगा। •यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। •यह एक काल्पनिक कृति है। जब तक अन्यथा संकेत न दिया जाए, इस पुस्तक में सभी नाम, पात्र, स्थान, घटनाएँ और घटनाएँ ले...