चूड़ी के टुकडे

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हस्ते हसाते रुक्का - छुप्पी में

भाग रही थी उससे दूर |

वृख - लताओं की शीतलिमा में

खो गए मेरी चूड़ी के टुकडे |

हो गया दिल सूना - सूना

सच में पिया दूर हो गया |

पर उनको मुझसे ज्यादा

देश की रक्षा प्रिय था |

उनकी आवाज़ जब सुनती थी

मन ही मन में नाचती थी |

पर अधूरी लगी सारी बातें

जब सताती थी मुझे उनकी यादें |

इंतज़ार को ख़त्म करके

एक दिन वे आये , लेकिन

मैंने पाया नहीं वो मुस्कान

और न वो प्रेम भरी आँखें |

रोते - रुलाते रुक्का - छुप्पी में

चला गया वो मुझसे दूर |

व्यथा की अँधेरी में

खो गयी मेरी चूड़ी के टुकडे |

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