रेल्वे स्टेशन की वो शाम....

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एक छोटे से रेल्वे स्टेशन की घडी का काटा रात के 1 पर पहुच रहा था. बारिश का मौसम चल रहा था, अभी अभी बारिश रुकी थी , इसलिए वातावरण ठंडा अोर शांत था. हमेशा की तरह अपनी ट्रेन पकडने के लिए राहुल स्टेशन पहोचा.
उसकी ट्रेन के आने मे अभी काफी वक्त था. इसलिए स्टेशन पर बने चाय की दुकान पे वो चाय लेने पहुचा.

राहुल : भैया एक कप चाय देना

चायवालेने थरमस मे रखी हुइ चाय प्लास्टिक के कप मे डालकर राहुल को दी

राहुल ने उस चाय के पैसे चुकाये ओर अपनी गाडी की राह देखते हुए रेल्वे स्टेशन के बेंच पर बेठकर चाय पीते पीते अपनी ट्रेन के अाने का इंतजार करने लगा.

राहुल ने आसपास नजर दोडायी , स्टेशन लगभग सूमसाम था. स्टेशन पे कुली पुरे दिन की महेनत के बाद थोडा सा आराम कर रहे थे, क्योकी अगली ट्रेन के आने मे अभी देर थी.

हमेशा उत्साहित रहने वाला राहुल आज काफी उदास लग रहा था. कीसी खुबसुरत फुल की पंखुडीयो को काटकर अलग कर दीया जाए तो फुल मुरजा सा जाता है, वैसे ही राहुल का चेहरा मुरजाया हुआ था

राहुल ने अपनी चाय पुरी की ओर अपने पेन्ट की जेब मे हाथ डालकर अपना पर्स निकालकर उसमे रखे फोटो को राहुल बिना पलके जपकाये देख रहा था , राहुल अपनी आखो द्वारा उस फोटो पर अपने प्रेम की वर्षा कर रह था. आखिर वो किसकी फोटो थी ?
और उस फोटो को देखकर राहुल इतना बेचेन क्यो हो रहा था? दरसल वह फोटो एक लडकी की थी जिसका नाम था नेहा . वह लडकी उसी के साथ कोलेज मे पढती थी. वैसे यह कहनी की बात नही की राहुल उस लडकी से प्यार करता था.लेकिन आज कहुंगा कल कहुंगा करते करते कोलेज के तीन साल कैसे चले गये पता ही नही चला.

उसे अपने कोलेज के दिनो की याद आ गइ
राहुल ने एक लंबी सास ली ओर उसके मुह से शब्द निकल गए

वाहहहह...... क्या दिन थे वो ! ओर राहुल अपने कोलेज के दोस्त ओर कोलेज की यादो मे खो गया

ऐसा कह सकते है की राहुल अपने भुतकाल को उस रेल्वे स्टेशन की बेंच पर बैठै बैठै फिर से जी रहा था. ओर पुरी तरह से अपने भूतकाल मे खोया हुअा था की तभी रेल्वे स्टेशन पे अनाउसमेन्ट हुआ , कृपया सभी मुसाफिर ध्यान दे गाडी नंबर २५३३६३ अहिंसा एक्सप्रेस आ रही है . राहुल अचानक चोक कर फिर से वर्तमान मे आ गया उसने अपनी बेग हाथ मे ली
ओर ट्रेन मे चढने के लिये खडा हो गया ट्रेन लगभग खाली ही थी राहुल हर मुसाफिर की तरह ट्रेन की खिड़की वाली सीट पे बैठ गया ट्रेन उस ठंडी अंधेरी रात को चीरती हुइ तेज रफ्तार से  खडक..... खडक...खडक जैसी आवाज़ के साथ तेज रफ्तार से दौडी जा रही थी राहुल ने अपना मुह ट्रेन की खिड़की पर टिका दीया जिससे बाहर की ठंडी हवा के थपेडे राहुल के चेहरे पर लग ने लगे राहुल खिड़की के बाहर का द्रश्य देखने मे खोया ही हुआ था की तभी राहुल का फोन बज उठा
नंबर अनजाना था

राहुल ने फोन उठाया  "हैलो"

कोलर : क्या ये राहुल का नंबर है ??

राहुल को  सामने चित परिचित स्वर सुनाई दिया

राहुल : जी हा ये राहुल का ही नंबर है ओर मे राहुल ही बोल रहा हु आप कौन?
जैसे ही राहुल ने इतना कहा ही था की सामने वाला जोर का ठहाका लगा के बोल उठा

कोलर :( हसके) अबे साले अपने दोस्त की आवाज़ को इतनी जल्दी भुल गया पहले तो कीतनी ही fake call करके ओर तेरी गर्लफ्रेंड का बाप बनकर तुजे गाली या देता था फिर भी पहचान जा ता था

continue........

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⏰ पिछला अद्यतन: Nov 17, 2015 ⏰

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