जिसमें न सुगंध की मादकता
मुरझाया हुआ वह फूल हूँ मैंजिसका न महत्व ज़रा जग मे
वह राह की थोड़ी सी धूल हूँ मैंजिसमें वेदना का जल है भरा
वह सिन्धु का सूना सुकून हूँ मैजिन आँखों का फूल कभी थी मैं
उन्हीं आँखों का ही शूल हूँ मैंअवसादों की एक कहानी हूँ मैं
उमंगो की बीती बहार हूँ मैं।