खुद में उठता खुद के लिए
एक सवाल मैं हूँ ......जिन्दा हूँ तो जिंदगी महरूम
क्यों हूँ ...............न कोई तरंग न कोई आरज़ू
मुझ में हैं ............ए जिंदगी तू ही बता सबब इसका
यह सजा है तो गुनहगार मैं
क्यों हूँ ..........मनीषा
खुद में उठता खुद के लिए
एक सवाल मैं हूँ ......जिन्दा हूँ तो जिंदगी महरूम
क्यों हूँ ...............न कोई तरंग न कोई आरज़ू
मुझ में हैं ............ए जिंदगी तू ही बता सबब इसका
यह सजा है तो गुनहगार मैं
क्यों हूँ ..........मनीषा