आप पढ़ रहे हैं हमसाया Poetry प्यार वो एहसास जो किसी नाम का मौहताज़ नहीं ख़त 26 4 0 manishagupta707 द्वारा लेखक: manishagupta707 फ़ॉलो करें साझा करें Post to Your Profile Share via Email कहानी को रिपोर्ट करें भेजें Send to Friend साझा करें Post to Your Profile Share via Email Report Story तेरा वो ख़त आज भी अरमानोंसे लवरेज़ सा है की उसमे महकती तेरे प्यार की खुशबुतेरे होने का एहसास मुझे देती है ! मैं तन्हा और उदास होती हूँ जब भी जिंदगी से .......तू कही आस पास है मेरे हर पल यही आवाज़ मुझे देता है ...... मनीषा