समय के सफ़र में प्रहर जब रात का आया,
कोई भूल गया वो अपना साथी जो था !मंजिल की दौर में प्रहर जब हार का आया,
कोई भूल गया वो अपना साथी जो था !जीत की ख़ुशी में, हार के गम में,
याद आ गया वो अपना साथी जो था !मन के अन्तः करण में जब प्यार को संजोया,
याद आ गया वो अपना साथी जो था !नित्य कृत पर्व में, गर्त में, प्रशाध्य में,
श्रीन्खलाय मार्ग में, ज्ञान के प्रवाह में,
सांख्य स्मृति में, जीवन के अध्याय में,
हर पल के बहाव में,
याद आ गया वोह अपना साथी जो था,
याद आ गया वोह अपना साथी जो था !मेघ के प्रवाह में प्रहर जब वेदना का आया,
कोई भूल गया वो अपना साथी जो था !समय के सफ़र में प्रहर जब हार का आया,
कोई भूल गया वो अपना साथी जो था,
कोई भूल गया वो अपना साथी जो था !!