यह जिंदगी

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येह शीशे, येह सपने, येह रिश्ते, येह धागे..

किसे क्या खबर है, कहां टूट जायें..

मोहब्बत के दरिया मे, तिनके वफ़ा के..

न जाने किस मोड पर डूब जायें..

अजब दिल की बस्ती, अजब दिल की वादी..

हर एक मोड मौसम नयी ख्वाइशों का..

लगाये हैं हमने भी सपनों के पौधे..

मगर क्या भरोसा यहां बारिशों का..

मुरादों की मंज़िल के सपनों मे खोये..

मोहब्बत की राहों पे हम चल पडे थे..

ज़रा दूर चले और जब आंख खोलीं..

कडी धूप मे हम अकेले खडे थे..

जिन्हे दिल से चाहा.. जिन्हें दिल से पूजा..

वोही आ रहे हैं, नज़र अजनबी से..

रवायत है शायद येह सदियों पुरानी..

शिकायत नही है कोई ज़िन्दगी से..

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