राष्ट्र सेवा दल भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की जमीन से उपजा हुआ संगठन हैं आजादी के आंदोलन के दौरान आंदोलन की प्रमुख वाहक कॉंग्रेस को दैनदिन कार्य तथा सिद्धांत को लोगों में लोकप्रिय करने हेतु स्वयंसेवी संगठन की जरूरत महसूस हो रही थी। इसी के चलते हिंदुस्तानी सेवा दल की स्थापना स्वांतंत्रता सेनानी डॉ ना. स. हर्डिकर ने की। प्रभात फेरी, ग्रामसफाई, दलित बस्तियों में सफाई, कॉग्रेस अधिवेषनों और सभाओं का सुचारू रूप से आयोजन आदि काम सेवा दल उन दिनो करता था, इस दौरान ओ. एस. एस. स्थापना से ही सनातनी हिदुत्व दकियानुसी, प्रतिगामी विचारो के पुनुरूज्जीवन चलाने की बात कर रहा था। इस को वैचारिक रूप से जवाब देने के लिये महाराष्ट्र में राष्ट्र सेवा दल की बुुनियाद समाजवादी नेता साने गुरूजी, एस.एम. जोषी , ना. ग. गोंरे , षिउुभाऊ लिमये, अण्णासहेब सहस्त्रबुद्धे तथा पटवर्धन बंधु, राव साहेब और अच्युतराव ने डाली।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस आंदोलन की विचार धारा को अनुकुल पीढी तैयार करने का काम राष्ट्र सेवा दल ने किया। भारत में स्वंतत्रता आंदोलन पर उदारमत व प्रजातंत्रीय राजकीय विचारधाराओं के साथ रूसी राज्यक्रांति का वैचारीक असर नेताओं तथा युवा पीढी पर था। गांधीजी का सत्याग्रह, उन की साधन सुचिता एवम् अहिंसा का भी परिणाम जबरदस्त था। भारत इस दौरान विषमता और अज्ञान की निद्र से उठ खडा था। इस जागृति को अपनी व्यक्तित्व और कर्तृत्व द्वारा गांधीजी देश निर्माण के लिए इस्तेमाल कराना चाहते थें। राष्ट्र सेवा दल ने गांधीजी का देश नव निगॉण का विचार अपनी सैकडो शालाओं द्वारा लोगों तक पहॅुचाने का काम किया। 1947 की क्रांति में सेवा दल के वरिष्ठ नेता जेल में गये। लेकिन युवाओं और कुमारो ने प्रभात फेरियों, राष्ट्र भक्तिपर गीत, भुमिगत कामों के लिये मदद आदि, जरियों से आंदोलन को मजबूती से आगे बढाने का कम किया।
आजादी प्राप्त हुई, लेकिन देश का बॅटवारा हुआ। देश में व्याप्त विषमता, सामाजिक कुरितियों, अर्थिक गैरबराबरी की मुखालफत करते हुए नये समाज का नींव डालने का कठिन काम सेवा दल ने अपने जिम्मे लिया। लोकतंत्र, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, विज्ञान का सकारात्म्क उपयोंग और राष्ट्रवाद इन पंचसूत्रो का अपना वैचारिक आधार बना कर सेवा दल 66 सालों से कार्यरत है। इस दौरान समाजवादी अभ्यास मंडलों में महाविद्यालयीन छात्र देष की समस्याओं व उनकी समाधानों पर विचार गोष्ठियॉ चलाते हैं कलापथक का मक्सद है लोकरंजन द्वारा लोकशिक्षण करना। लोकनाटयों, पथनाटयों, भरत दर्शन, विश्व दर्शन , महाराष्ट्र दर्शन और आजादी की जंग जैसी विशाल नृत्यनाटयों द्वारा कलापथक ने लोकरंजन द्वारा लोकप्रबोधन का महान कार्य किया है। नीलू, फुले, राम नगरकर, दादा कोंडके , सुधा वर्दे, स्मिता पाटील, झेलम वर्दे, परांजपे, श्रीराम लागू इत्यादि कलाकार कलापथक आंदोलन से तैयार हुए । सेवा पथक देहांतो में श्रमदान तथा नैसर्गिक आपत्तीयों में मदद पहूॅचने का काम करता है।
महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेष उत्तराखंड, मध्य प्रदेष, केरल, दिल्ली, जम्मू व कश्मीर, गोवा आदि राज्यों में सेवा दल का संगठन प्रभावी रूप से चल रहा है। तथा भारत के अन्य राज्यों में भी फैलाव हो रहा है। लोहिया सप्त क्रांति अभियान चल कर सेवा दल आजादी के आंदोलन की विचार धारा अपनी पंचसूत्री एवंम् लोहियाजी के सप्त क्रांति आधारित विचारों को देश के कोने- कोने में पहुॅचाना चाहता हॅू।
आंदोलन में अनेक बार बिखराव का दौर चला लेकिन सेवा दल की एकता बनी रही। राष्ट्र सेवा दल दैनंदनि शाखाओं, कलापथ को और सेवा पथकों के माध्यम से कार्यरत रहता है। दैनंदिन शाखाओं मे स्कूली छात्र शाम के समय मैदानों पर एकत्र होते है। और गांने, खेल आदि माध्यमों से देष प्रेम और समता का विचार ग्रहण करते है।