ग्यारहवा दिन - 19 अगस्त , कन्याकुमारी
सुबह उठकर सूर्यादय देखने समुद्र किनारे गया वहॉ योग किया। सुन्दर दृश्य 8 सेैकण्ड में सूर्य निकलकर पूरा दिखलाई पडने लगा। वहॉ सागर (म.प्र.) के वकील श्री जैन मिले कहॉ कि मैं आपका फैन हू यहॉ मुलाकात हो गई। कन्याकुमारी आना सफल हो गया। टिमरनी के लोग भी मिले। पूछने पर मालूम पडा कि 12-15 हॅजार रूपए में 40 दिन की धार्मिक यात्रा पर निकले हैं। विवेकानंद हाल के कार्यक्रम में इन्सोको के अध्यक्ष श्री तान्जलिंगम, डॉ. क्रिमचिथन बाबू शेखर, श्री एम. पुष्पदास, वीरमणि वीर ट्रस्ट के सचिव तमिल अल्यम के डायरेक्टर पच्चईमाली, तमिलनाडू ट्रेड यूनियन कांग्रेस के उपाध्यक्ष, ए.एम.डी चल्लादुराई, इन्सोको की भी सुश्री सरोज, सुश्री मेरी हैलन, कार्यक्रम के आयोजक मरियादास, शेखर नसीम, पी.जे. जोजी. कार्यक्रम में मौजूद थे। कार्यक्रम में डॉ0 नीलवल्ली द्वारा 2000 रूपये दिए गए। कन्याकुमारी में तीन समुद्र मिलते हैं इस कारण इसे पवित्र मात्र जाता हैं। विवेकानन्द जी को यहॉ निर्वाण प्राप्त हुआ। इस कारण भी यह स्थान महत्व रखता हैं। कन्याकुमारी में महिलाओं की संख्या पुरूषो से अधिक हैं। लीलावती ने बताया कि 20 वर्ष के संघर्ष के बाद निर्माण मजदूरो का कल्याण बोर्ड बनाने में सफलता मिली है। 19 सगठनो ने मिलकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरो का असंगठित कामगार संगठित किया है। जिसका 22 जिलो में संगठन हैं गेव्ररियल ने बताया कि असंगठित क्षेत्र की महिला मजदूरो को अधिक भागीदारी दिलाने के लिए संगठन विषेष रूप से प्रयास रहा है। डॉ0 निलावल्ली ने कहा कि यात्रा पूंजीवाद के खिलाफ करने वालो के लिए प्रकाष पूंज का काम करेंगी। देश की महिलाए डॉ0 लोहिया का अभिवादन करती हैं। क्योकि उन्होंने सबसे पहले आरक्षण की बात की हैं। निर्मला (नर्स यूनियन) तथा डॉ0 नलवल्ली से दाईयो को संगठित के करने के सम्बन्ध में बात हुई तय हुआ कि महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए 17 सितम्बर को बैठक कर योजना बनाई जाएगी। कन्याकुमारी से निकले, रास्ते मे पवन चक्कीयो बडे पैमाने पर देखने मिली। यह जानने की इच्छा थी कि यह प्रयोग सफल हैं या नही। प्रयोग कम्पनियो द्वारा किया जा रहा हैं। यदि यह सफल हैं तो उर्जा विकल्पो की खोज की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता हैं। वहॉ से निकलकर हम इनाम एडमकुलम पहुंचे। रास्ते में पुरा चकरी, गुलाम टुटी कुशीन रेलवे गेट पर स्वागत हुआ। रात्रि 2 बजे मुदरै पहुंचे। रात को जस्टिस अरपुर इन्सट्यिूट में रूके।