29 वॉ दिन - 6 सितम्बर
रात्रि विश्राम राची में पर्यावरण मैत्री भवन में किया। सुबह योग। रातभर तेज बारिश होती रही। बारिश में ही निकले। बोकारो में हिन्द मजदूर सभा के कार्यालय में पहुंचे। वर्मा जी मिले दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उनके पैर में फैक्चर था, सभी साथियो का परिचय हुआ। बोकारा कर्मचारी पंचायत, बोकारो स्टील यूनियन के पदाधिकारीयो से मुलाकात हुई। बागीजी ने बतलाया कि पश्चिम बंगाल में शिक्षको पर आधारित संगठन काम करते हैं। वर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार का गवर्नर यहॉ चुनाव कराने को तैयार नही है। जाति और खर्च के आधार पर लोग चुनाव में वोट देते है। विस्थापन के स्थाई समाधान की जरूरत हैं। बोकारो स्टील में 16 हॅजार विस्थापित रोजगार से लगे थे। अब 4 हॅजार रह गए हैं। समान काम का समान वेतन की बात होती है। लेकिन असंगठित क्षेत्र के मजदूरो को समान वेतन नही मिल रहा। उन्होंने कहा कि विस्थापन नीति पर राष्ट्रव्यापी बहस की जरूरत हैं। आन्दोलन के लिए संसाधनो की कमी हैं। देश का बुद्धिजीवी वोट नही देता। एस.एच. खान (जनता दल यू) ने कहॉ कि इमाममुद्दीन अली खान विधायक समाजवादियो के टिकट पर चुने गए। पूर्णचंद जी एकमात्र नेता थे जो बिहार और झारखण्ड में लगातार घूमते थे। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबंर को बोकारो में डॉ. राममनोहर लोहिया, राजनारायण विचार केन्द्र द्वारा कार्यक्रम रखा गया हैं। कार्यक्रम के माध्यम से हम डॉ.लोहिया की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं। हमने कर्पूरी ठाकुर जी की मूर्ति लगवाई हैं। डॉ. खान ने कहा कि भावी राजनीतिक विकल्प डॉ. लोहिया का ही है। इंडिया भारत का विभाजन बढ़ रहा हैं। एक समय था कि मुझे चिट्टी प्राप्त हुई थी। मंडल के लिए लडना हैं अडवानी का रथ रोकना हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक आर्थिक ढ़ाचे का सुपर स्टक्चर राजनीति है। गौतम जी ने अपनी बात रखी। उन्होंने बताया की पनवेल में यात्रियो का 7 दिन का प्रशिक्षण युसूफ मेहेरअली द्वारा किया गया है। संजू ने उडीसा मे यात्रा के अनुभव रखे। बागाजी ने कहा कि यात्रा के समापन पर एक केन्द्र का निर्माण होना चाहिए जिसमें समाजवादी विचार के सैद्धातिंक वैचारिक मुद्दो पर स्पष्टता विकसित की जा सके। शासकीय (सरकारी) एवम् मठाधीश संस्थाओं एवं कुजात गांधी लोहियावादियो का विभाजन करते हुए उन्होंने कहॉ कि कुजात समाजवादियो का केन्द्र बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैसे जाति के आधार पर टिकट दिया जाता है।राजनीतिक संस्कृति पूरी तरह विकृत हो गई हैं यात्रा की उर्जा बिखरनी नही चाहिए। ऊर्जा का अधिकतम इस्तेमाल हो इसके लिए प्रयास करना जरूरी हैं। मैंने विस्तार से समाजवादियो के बीच निराशा को लेकर कहा कि देषभर में जनसंगठन संघर्ष चला रहे है। वे समाजवादी विचारो ओर मुद्दो को लेकर लड़ रहे है बडे पैमाने पर नए साथी निकल रहे है। एैसे समय में जब पूंजीवाद संकट में है तथा कम्युनिजम कोई विकल्प नही बचा है समाजवादियो को सैद्धान्तिक स्तर पर विकल्प की रूपरेखा को नई परिस्थिति में ढ़ालकर देष के सामने रखना चाहिए। उपस्थित साथियो ने बताया कि सिद्धू कानू के आन्दोलन से बडे पैमाने पर झारखण्ड में लोग प्रभावित हुए थे।मैंने कहा कि एक के बाद एक कोयले की खदाने खुलती गई लोगो को न के बराबर मुआवजा मिला बडे पैमाने पर विस्थापन हुआ कानून कुछ भी बन जाए उसका लाभ नही मिलता। वन अधिकार मान्यता कानून का लाभ भी लोगो को नही मिला है। गांव में अधिकतर लोग गरीब है लेकिन गरीबी रेखा का लाभ बहुत कम लोगो को मिल रहा है। वासु कुमार डे. एड. ने कहा कि 1965 में मेरे चाचा बैकुंठनाथ डे डॉ0 लोहिया के साथ लम्बे समय तक रहे। उन्होंने बताया कि गोमिया के इलाके के 500 गांव डूब चुके है जिन्हें बिना मुआवजे के हटा दिया गया है उन्होंने कहा कि कानून किताबो में बंद है। मदन स्वर्णकार जी ने कहा कि मैं 30 वर्ष से काग्रेंस से जुडा हुआ हू लेकिन कांग्रेस में पूंजीवाद पूरी तरह से हावी है। तेन्दूघाट एषिया का बडा डैम है इसके बावजूद इलाके के किसानो को सिंचाई का पानी, पीने का पानी तथा रोजगार नही मिल पा रहा है उन्होंने कहा कि झारखण्ड में 24 जिलो मंे से आर्थिक शोषण और लूट के चलते 18 जिले हिंसा की गिरप्त में है। उन्होंने कहा कि हम शुरू से लोहियावाद से प्रभावित रहे है। हम समाजवादियो के साथ मिलकर काम करना चाहते है। गुलाब भाई ने कहा कि 7 लोग कोयलकारो के आन्दोलन में शहीद हुए 6 दिसम्बर 2008 को डुमका काडीकुड, कोखरिया में विस्थापितो के संघर्ष में 10 हजार लोग जेल भरो आन्दोलन में शामिल हुए। लखीराम कुटू मारे गए। शहगल मराण्डी भी शहीद हुए 10 सितम्बर से ढुमका से लेकर कडीकुट तक शहीद सन्देष यात्रा निकाली गई। सभी वक्ताओं ने कहा कि कानूनी तौर पर ग्रामसभा के बिना सहमति के सरकार जमीन नही ले सकती लेकिन सरकार कानून को मानने को तैयार नही है 1963 में बने तेन्दुघाट बान्ध के विस्थापित को पुर्नवास अब तक नही हुआ है। आदिवासियो की जमीन गैर आदिवासी नही खरीद सकते लेकिन इस कानून का पालन भी झारखण्ड में नही हो रहा। रंजन गुडिया, उलगुलान मंच के संयोजक ने भी अपने विचार रखे।