34 वॉ दिन - 11 सितम्बर

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34 वॉ दिन - 11 सितम्बर

सुबह 4 बजे पहुंचने के कारण तथा जल्दी कार्यक्रम शुरू होने के चलते योग नही हो सका। मो0 शहीम ने कहा कि इस इलाके में हर साल महानदी कनकई कोसी हाफ नदीयो में हर वर्ष बाढ़ आती है खेती बह जाती है गरीबी के कारण पलायन होता है 1997 में पारिट गुरूजी, सदानंद वर्धे जी, भाई वैद्यजी आए थे। तब यहॉ एक स्कूल की नींव डाली गई थी। उन्होंने कहा कि अमीरी गरीबी का फर्क लागातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा हमने 10 एकड़ वाले बडे़ जमीदारो के खिलाफ आन्दोलन चलाया था। उन्होंने बताया कि ब्लाक में विकास पदाधिकारी के खिलाफ उर्मिला जी ने अनेक आन्दोलन किए है क्योंकि वह भ्रष्टाचार में लिप्त है। गुसजपुर ग्राम में बान्ध के खिलाफ भी उन्होंने आन्दोलन चलाया। उन्होंने बताया कि इस इलाके में भाई अलीमुद्दीन अंसारी, पूर्णिया, अटरिया, कटिहार, मधेपुरा, भागलपुर, सहरसा के ईलाके में आन्दोलन तो करे ही है साथ ही 102 बच्चो का प्रषिक्षण केन्द्र भी यहॉ चलाते है। हिन्द खेत मजदूर पंचायत के माध्यम से यहॉ बीडल्यूआई के सहयोग से काम चलता है। गुड्डी ने यात्रा 10 राज्यो के अनुभव उपस्थित छात्रो तथा प्रषिक्षको एवं ग्रामवासियो को बताए। वहॉ से हम जिला मुख्यालय पहुंचे जहॉ अग्रेंजी के प्रो0 अरविन्द ने कहा कि सप्तक्रांति के माध्यम से हमे क्रांति को नई परिभाषा गढ़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि कोई चमत्कारिक परिवर्तन नही हुए तथा देष की हालत आज की तरह लगातार बिगडती गई तो देष को टूटने से कोई नही बचा सकता। भोलानाथ आलोक ने कहा कि मैं सपने देखता हू लेकिन भाषण से क्रांति नही होगी। क्रांतिकारी विचार का आचरण जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया मेल मिलाप तथा बलिदान की धरती है हम पूरी ताकत से सप्तक्रांति के विचार को धरती पर उतारने का काम करेंगे। भोलाषास्त्री, फनेष्वरनाथ रेणु के विचारो वाली धरती आपका साथ देगी। अरूण पासवान अधिवक्ता आलोक कुमार, प्रो0 रामदयाल पासवान ने भी कायक्रम को सम्बोधिंत किया। श्री पासवान ने कहा कि आप एैसा दीपक जला रहे है जो आन्दोलन की धरती को फिर से तेज संधर्ष से गर्म कर देगा। प्रो0 पासवान ने कहा कि बिना वंचित वर्षाे से समूहो की महिलाओ को आरक्षण दिए केवल महिला आरक्षण का उपयोग नही होगा। बिहपुर में हम कई घंटे देरी से पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन के पुराने साथियो से मुलाकात हुई। विजय भाई से विस्तृत चर्चा हुई। कार्यक्रम को सुदामा शाह, षिवरतन मोदी, अजय चौधरी, गोपाल यादव, पुरेन्द्र जी, जगदीषदास जी, छेदीमण्डल जी, नरेष कुमार जी, द्वारा सम्बोधिंत किया गया कार्यक्रम में डॉ0 विजय प्रवेष, रविन्द्र कुमारसिंह द्वारा कराया गया। कार्यक्रम में सम्पूर्ण क्रांति मंच गंगा मुक्ति आन्दोलन लोकचेतना संगठन, युसुफ मेहरअल सेन्टर व युसुफ मेहरअली युवा बिरादरी, सौर्यषक्ति सेवा समिति, अंगक्रीड़ा मण्डल, रवि मेहता, स्पोटर्स टेªेनिंग सेंटर, कबड्डी संघ, खो-खो संघ, बिहपुर के साथी शामिल हुए। विजय भाई ने बताया कि गांधी जी, राजेन्द्रप्रसाद, जयप्रकाष जी यहॉ एक एक महीने रहे है। आजाद दस्ते यहॉ नारायणपुर से लेकर कुर्सेला के बीच 1942 में सक्रिय थे। उन्होंने बताया कि इस इलाके की सबसे बडी समस्या कटाव और बाढ़ की है। उन्होंने कहा कि यहा केला, मक्का, आम, नीबू, लीची की खेती होती है पलायन तुलनात्मक तौर पर कम है। यात्री साथी गौतमकुमार प्रीतम ने बताया इस क्षेत्र को जातीय हिंसा ने भी बर्बाद किया है जबकि आजादी की लड़ाई में दस्तावेज के अनुसार 26 लोग और बगैर दस्तावेज के सैकडो लोग शहीद हुए है। यहॉ भगनषाह की मजार समन्वय का प्रतीक है। सभी यात्रियो को बिहपुर के साथियो द्वारा भागलपुर की मषहूर भागलपुरी सिल्क चादर और तौलिए स्मृति चिन्ह के तौर पर भेंट किए गए। भागलपुर का कार्यक्रम गांधी शांति प्रतिष्ठान केन्द्र में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर रामजीसिंह पूर्व सांसद द्वारा की गई। कार्यक्रम को सम्बोधिंत करते हुए रामषरण जी ने कहा कि देष में जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया चल रही है उसमे सुधार की जरूरत है। लोकतंत्र को मजबूत करना निर्दलीय ताकतो का सबसे पहला कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि दुनिया के खालीपन को भरने का काम सप्तक्रांति एवं सम्पूर्ण क्रांति के माध्यम से ही किया जा सकता है। कार्यक्रम में रामपुजनजी, अजय भाई, चान्द बहन, फारूख अली, अनिल भाई, ओमप्रकाष, सोहन भारतीय, लल्लन (परिधि) सुधांषु, डॉ. मुकेष, रामकिषोर भाई, रामनारायण, वासुदेव भाई, मुरारी, जवाहर मण्डल, संजय कुमार प्रकाषचन्द्र गुप्ता, आदि साथी प्रमुख तौर पर शामिल हुए। गांधी शांति प्रतिष्ठान बनारस के अध्यक्ष पूर्व कुलपति, पूर्व सांसद ने कार्यक्रम की अध्यक्षीय भाषण करते हुए कहा कि समुद्र मंथन का सम्बन्ध भागलपुर से है। भागलपुर विक्रम षिला विष्वविद्यालय पुराने जमाने में षिक्षा का केन्द्र था। यहॉ बुनकरो एवं रेषम का केन्द्र था जो अब तहस नहस हो गया है। रामजीसिंह ने कहा कि मैं इस यात्रा को सप्तक्रांति विचार के प्रचार प्रसार की यात्रा मानता हू उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि ढ़ाका में जब थे 1960 में प्राचार्य थे तब उनके मित्र बेनीषंकर शर्मा के यहॉ कार्यक्रम हुआ था तब दुसरे दर्ज का डिब्बा नही खोला गया गार्ड ने भी डिब्बा नही खुलवा पाया था तब डॉ0 लोहिया ने स्टेषन मास्टर से षिकायत की थी। उन्होंने बताया कि भागलपुर समाजवाद की हल्दीघाटी हैं उन्होंने लोहिया और जयप्रकाष की तुलना राम,लक्ष्मण से की तथा नालन्दा विष्वविद्यालय की तुलना विक्रमषिला विष्विद्यालय से की। उन्होंने कहा कि इस इलाके में जेनियो के 13 वे गुरू र्तीथाक कल्याण इसी इलाके के थे। शरद बाबू की ननिहाल यही थी। रविन्द्रनाथ ठाकुर ने गीताजंली की रचना यही की थी। बलिया सतारा की तरह इसी इलाके बिहपुर में 104 व्यक्ति शहीद हुए थे। सियारामसिंह जयप्रकाष जी के मुख्य लेप्टीनेंट थे। परसुरामसिंह बांका, महेन्द्रगोप को यहॉ फॉसी हुई थी। उन्होंने बताया कि जयप्रकाषजी कहते थे कि बिहार में भागलपुर क्रांतिकारिता में प्रथम रहा। उपस्थित सबसे बुर्जुग महिला, चांद बहन के बारे में उन्होंने बताया कि वे 32 महीने जेल में थी। उन्होंने कहा कि भागलपुर में किसी की हुकूमत नही चलती केवल क्रांतिकारियो का राज चलता था। उन्होंने कहा कि हमारी प्रेरणा जब मन्द पड़ने लगी है तब ज्वाला को पुनः प्रज्वलित करने डॉ0 सुनीलम् हमारे बीच आए है। उन्होंने कहा कि पुरी दुनिया अब लोकतांत्रिक समाजवाद की चर्चा कर रही है विष्व में नई सभ्यता के जन्म के लिए अमरीका तक के लोग गांधी और महाविर की ओर देख रहे है उन्होंने कहा कि यात्रा के माध्यम से समाजवादी एकता का काम आगे बढ़ेगा उन्होंने कहा कि समाजवादी जब सत्ता में जाते है तब बिखर जाते है। उन्होंने बताया कि पंडित बोध नारायण मिश्र की पत्नी बामनी देवी ने पूरी इमारत दान दी है उसी में गांधी शांति प्रतिष्ठान स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि यात्रा ने हमे प्रेरणा दी है यात्रियो को देखकर बहुत दिनो बाद मन में प्रसन्नता का भाव जगा है की क्रांति का विचार आगे बढ़ रहा है। हमने रात्रि विश्राम श्री रामषरण जी के हॉटल आमंत्रण में किया। यह हॉटल पूरे बिहार के समाजवादियो, गांधीवादियो, कं्रातिकारियो के लिए विश्राम केन्द्र है। 

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