36 वा दिन - 13 सितम्बर
रात्रि विश्राम गंगासिंह विधि महाविद्यालय में किया। सुबह लोकनायक जयप्रकाष नारायण की जन्मस्थली सिताबदियारा पहुंचे। मांझी मोड़ पर साथियो के साथ पूर्व मंत्री, विधायक एवं समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अंबिका चौधरी ने यात्रियो का स्वागत किया वे अपनी गाड़ी छोडकर बस में यात्रियो के साथ बैठे। उन्होंने बताया कि बलिया की धरती ऋषी भृगू, मंगल पाण्डे, जे.पी. के साथ साथ चन्द्रषेखर की धरती है। उन्होंने बताया कि 1942 मंे भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान तिरंगा झण्डा लेकर आन्दोलन करते हुए 12 से अधिक व्यक्ति इस धरती पर शहीद हुए थे। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रषेखर द्वारा शताब्दीयारा में जे.पी. स्मारक की स्थापना की गई। स्मारक पहुंचने पर क्षेत्रीय सांसद एवं चन्द्रषेखर जी सुपुत्र नीरज शेखर द्वारा यात्रियो का स्वागत किया गया। यात्रियो ने गीत प्रस्तुत किए। वक्ताओ ने बाजारीकरण के दौर में बलिदान, बलिया के समाजवादियो द्वारा फिर से संघर्ष किए जाने पर जोर दिया। श्री अंबिका चौधरी ने कहा कि घागरा गंगा नदी के बीच बसा हुआ यह इलाका है। उन्होंने कहा कि यात्रियो ने डॉ0 लोहिया का सन्देष में बलिया में पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। लोहिया की सप्तक्रांति को समझकर ही सम्पूर्ण क्रांति के पथ पर आगे बढ़ा जा सकता है। श्री नीरज शेखर ने कहा कि मैं शुरू से ही डॉ0 सुनीलम् से प्रभावित हू उनसे हम सबको सप्तक्रांति का विचार सीखने मिला है। उन्होंने बताया कि 1983 में चन्द्रषेखर द्वारा भारत यात्रा की गई थी फिर गैट के खिलाफ 5 महीने की 19 हजार कि.मी. की यात्रा की गई थी। अब यात्रा सप्तक्रांति के विचार को लेकर डॉ0 सुनीलम् और उनके साथियो द्वारा की गई है जिससे समाजवाद की रोषनी को तेज करने में हमे मदद मिलेगी। अंबिका जी तथा नीरज जी ने यात्रियो को स्मारक के भीतर ले जाकर जे0पी0 के संग्रहालय के अतिमहत्वपूर्ण चित्र, पत्राचार तथा वस्तुए दिखलाई। जे0पी0 के पूरे जीवन यात्रा को फोटो के माध्यम से देखकर सभी यात्री अतिरोमाचिंत हुए। मैंने सलाह दी की समाजवादियो को जे0पी0 स्मारक केन्द्र का इस्तेमाल प्रषिक्षण केन्द्र के तौर पर करना चाहिए। अंबिका चौधरी तथा नीरज शेखर जी ने कहा कि हर साल आप यहॉ जो भी प्रषिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगे उसका पूरा इन्तेजाम हम लोगो द्वारा किया जाएगा।