37 वॉ दिन - 14 सितम्बर

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37 वॉ दिन - 14 सितम्बर

हम डॉ0 लोहिया की जन्मस्थली अकबरपुर पहुंचे डॉ0 लोहिया की आदमकद मूर्ति पर सभी यात्रियो ने माल्यार्पण किया। डॉ0 विजयबहादुरसिंह ने बताया कि डॉ0 लोहिया 2 रोटी, दाल तथा बिना छौकी सब्जी खाते थे। उन्होंने बताया कि बंषी का परिवार हर रोज लोहिया की मूर्ति पर आज भी माल्यार्पण करता है। 27 अक्टूबंर 2010 को रोज माल्यार्पण करते हुए वंषीधर नापित 20 वर्ष पूरे कर लेंगे। सांसद बृजभूषण तिवारी जी ने बताया कि डॉ0 लोहिया को सम्पत्ति का बिल्कुल मोह नही था इस मायने में वे गांधी जी से भी बडे़ नेता थे। क्योंकि गांधी जी ने तमाम आश्रम स्थापित करने का काम किया लेकिन डॉ0 लोहिया ने आश्रम तक नही बनाया। उनके नाम पर कोई सम्पत्ति नही थी यहॉ तक की बैंक अकाउंट तक नही था। डॉ0 लोहिया 2 जोड़ी कपडे़ ही रखते थे। उन्होंने 17 रूपये जेब में होते हुए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़ने की हिम्मत दिखाई थी। तिवारी जी ने बताया कि डॉ0 लोहिया नेपाल की राजनीति में भी जबरदस्त दखल रखते थे। बी0पी0 कोइराला की रिहाई को लेकर उन्होंने आन्दोलन भी किए। लगतार तार भेजकर सरकार पर दबाव भी डाला। रात को हम इलाहाबाद पहुंचे स्वराज विद्यापीठ में रूके जहॉ सभा के बाद बैठक हुई। हम चन्द्रषेखर आजाद की स्मृति भूमि पर गए।

बाद में स्वराज विद्यापीठ में प्रमुख साथियो की बैठक हई। बैठक को सम्बोधित करते हुए ब्रजभूषण तिवारी जी ने कहा कि उ.प्र. के पिछड़ेपन का मुख्य कारण यह है कि इस प्रदेष में आजादी के लिए भीषण लड़ाई लड़ी गई थी। इस कारण अगं्रेजो ने इसे विकसित नही होने दिया। आज भी देष की 18 प्रतिषत आबादी उ.प्र. में निवास करती है लेकिन देष में होने वाले कुल निवेष का 5 प्रतिषत ही उ.प्र. में निवेष किया जाता है। यहॉ किसी भी गांव में 6 घंटे से अधिक बिजली नही मिलती।

श्री बनवारीलाल शर्मा जी ने कहा कि दुनिया की बहुराष्ट्रीय कम्पनीयॉ भारत के संसाधनो पर कब्जा करना चाहती है। किसानो की भागीदारी जीडीपी में पहले 65 थी वह घटकर 17 प्रतिषत रह गई है। नदीग्राम, सिगुंर, गोवा, पास्को के आन्दोलन सफल रहे है। एक बार फिर से सप्तक्रांति का बिगुल बजाने की जरूरत है। श्री बनवारीलाल पुरोहित ने कहा कि बिहार और उ.प्र. को पिछड़ा कहना गलत है क्योंकि इन दोनो राज्यो में देष में सर्वाधिक राजनीतिक जागरूकता है। उन्होंने कहा कि एसीजेड कानून तथा 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को खत्म करने की जरूरत है। इसके लिए बड़ी एकता की जरूरत है। संघर्ष करने वालो को एकजुट होना चाहिए। गुड्डी, भूषण जाधव ने कहा कि यात्री दल अपने अपने राज्यो में लौटकर विषेष आर्थिक क्षेत्र के मुद्दो पर काम करेगा। श्री रविकरण जैन ने कहा कि खेती को अलग से नही देखा जा सकता। विक्रेन्द्रीकरण तथा ग्रामीण विकास को लेकर समग्र आन्दोलन खडा करने की जरूरत हैं उन्होने कहा कि जीने का अधिकार से जुड़ा आन्दोलन सबसे ज्यादा जरूरत है। संसाधनो पर मल्कियत कैसे हो ? इसको लेकर देषभर में लोग अपने अपने तरीके से लड़ रहे है। देवीदास पाटिल ने बताया कि रायगढ़ जिले में एसीजेट के मुद्दे पर रायषुमारी कराने के लिए मजबूर कर दिया था। बनवारीलाल जी ने कहा कि जैसा गुजारात में जेपी ने मैस (हास्टल) में खाने का दाम बढ़ जाने को लेकर आन्दोलन शुरू किया था तथा उसको बिहार के छात्रो तक पहुंचा दिया था एैसा ही मुद्दा भूमि का है। हम चाहते है कि पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की 100 टोलिया तैयार हो जो एसीजेड के मुद्दे पर संघर्ष करेे।

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सप्त क्रांति विचार यात्राजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें