41 वॉ दिन - 18 सितम्बर

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41 वॉ दिन - 18 सितम्बर

रात्रि विश्राम केलादेवी मंदिर देवास में हुआ। सुबह से ही पेट खराब था योग किया खिचडी खाई। भोपाल चौराहे से लेकर लोहिया चौक तक रैली निकाली। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनता दल यू के अध्यक्ष महेन्द्रसिंह पंजाबी ने की। कार्यक्रम का संचालन धमेन्द्र भाई ने किया। कार्यक्रम में उपाध्याय जी ने डॉ. लोहिया का संस्करण सुनाते हुए कहा कि डॉ. लोहिया का एक बार सभी साथियो ने होटल में इंतजाम किया तो वे बिगड़ गए कहा कि कार्यकर्ताओ का कोई घर नही है क्या? रात को रूके। सुबह अकेले बस पकड़कर निकल गए। वे कहकर गए कि कभी दलाली मत करो, नौकरी करते हो तो भ्रष्टाचार मत करो, जहॉ काम करते हो वहॉ किसी का शोषण नही करो।

इन्दौर पहुंचे। विजय चौक पर डॉ0 अनिता यादव की टीम ने स्वागत किया। हमने पलासिया चौराहे से गांधी प्रतिमा तक उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय में अग्रंेजी की अनिवार्यता समाप्त करने तथा म.प्र. के उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा की मांग को लेकर जूलूस निकाला जिसमें वरिष्ठ समाजवादी नेता रामबाबू अग्रवाल, सपा जिला अध्यक्ष राजेन्द्र यादव आदि शामिल हुए। इन्दौर के कार्यक्रम के लिए विशेष तौर पर सोशलिस्ट फ्रंट के राष्ट्रीय संयोजक श्री पन्नालाल सुराणा आए प्रेस कान्फेस हुई। विर्सजन आश्रम में हमारा कार्यक्रम हुआ। जिसमेे बड़ी संख्या मंे गांधीवादी, विनोबावादी, सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन रामबाबू अग्रवाल ने किया। गोैतम और साथियो ने गीत गाए। रतन पटौदी, जया मेहता, कल्याण जैन पूर्व सांसद कार्यक्रम में मौजूद थे। गुड्डी ने कहा कि मृणाल ताई लोहिया जन्म शताब्दी समिति की अध्यक्ष है। मेघा पाटकर, गीता कृष्णन आज संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा कि रानीलक्ष्मी बाई के बारे में कहा जाता है कि खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी की रानी थी। बताता है कि यदि लड़ी तो मर्दानी कही गई। जनानी शब्द का इस्तेमाल क्यों नही किया जाता? सचिदानंदसिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ भेदभाव आज भी हो रहा है आज भी उन्हें हक नहीं मिला। एड. आराधना भार्गव ने कहा कि कानून महिला को आया का दर्जा देता हैं। उन्हें (गार्जियन) संरक्षक नही मानता। महिलाओ की निर्णय में भागीदारी न के बराबर है। सम्पत्ति पर अधिकार 1956 के बाद कानूनी तौर पर मिला। 4 बेटे 1 बेटी हो तो बंटवारा बराबर का होगा। लेकिन सम्पत्ति के स्थानान्तरण सम्बन्धी एक्ट में आज भी बराबर का हक नही है। बराबरी का सम्पत्ति का हक न मिले इस कारण भ्रुण हत्या कर दी जाती है महिलाओं को आज भी सम्पत्ति पर हक नही मिला है। शादी के एवज में राषि ली और दी जाती है वह स्त्री धन है। स्त्री धन का कितना हिस्सा लड़की को दिया जाता है ? बेटी की सुरक्षा का संवाल सम्पत्ति पर आधारित है महिला खेती करती है लेकिन किसान नही कहलाती। महिला की समस्याओ को केवल महिला आन्दोलन के मुद्दे के तौर पर देखा जाना ठीक नही है। पन्नालाल जी ने कहा कि मै समाजवादी आन्दोलन का सिंपाही हू महिला किसानो, आदिवासी महिलाओ, मजदूरी महिलाओं की समस्याओ के बारे में काफी काम करने की जरूरत है। समाज में अन्धविष्वास लगातार बढ़ते चले जा रहा है विषेष तौर पर महिलाओ के बीच अन्धविष्वास के खिलाफ आन्दोलन चलाने की जरूरत है। समाज की मानसिकता बदलने की जरूरत है। रस्मअदायगी को खत्म करना चाहिए क्योंकि इसका पूरा बोझ महिलाओ पर आता है महिलाओं को बहुत काम करना पड़ता है विषेषकर कामकाजी महिआलो पर बहुत अधिक बोझ बढ़ जाता है। घर के काम में हाथ बटाने की जरूरत है नर नारी समानता तभी आ सकती है जब घर के काम भी पुरूष योगदान करे परिवार में सामाजिक संवालो पर बातचीत करना जरूरी है।

सुश्री जया मेहता ने मुख्य वक्ता के तौर पर सम्बोधिंत करते हुए कहा कि एडम स्मिथ ने श्रम के विभाजन की बात कही थी। गैरबराबरीपूर्ण श्रम का विभाजन महिलाओ के प्रति भेदभाव को जन्म देता है। महिलाओ के काम को गिना ही नही जाता। उत्पादन, पूंजी का महत्व समाज में है। श्रम के पूर्व उत्पादन की जिम्मेंदारी महिलाओ की है जो घर में श्रम नही करते वे बाहर श्रम करते है। महिलाऐ बाहर और अन्दर दोनो जगहो पर श्रम करती है। पूरी दुनिया में जो व्यवस्था प्रचलित है उसमे काम के बदले मजदूरी दी जाती है लेकिन महिलाओ के काम को काम नही माना जाता। पुरी दुनिया में राष्ट्रीय आय में महिलाओ के श्रम को नही जोड़ा जाता। महिलाओं को अपनी लड़ाई लडनी है पूंजी की जगह श्रम को सम्मान दिलाना है। किसी भी देष में सर्वाेच्च स्थान श्रम को ही दिया जाना चाहिए। सम्पत्ति पर स्वाभाविक तौर पर महिलाओ का अधिकार नही होना मनुष्य द्वारा बनाई गई असमानता है। समाजवाद के अन्दर सम्पत्ति का सामाजिकरण यानी समाज के सम्पत्ति पर अधिकार के विचार को बढ़ाने की जरूरत है। श्री कल्याण जैन ने कहा कि चीन में कहावत है घूमने का एक साल 5 वर्ष की विष्वविद्यालय की पढ़ाई के बराबर है। उन्होंने कहा कि डॉ0 सुनीलम् ने यात्रा का नेतृत्व कर समाजवादियो पर एक बड़ा उपकार किया है। श्री पन्नालाल ने कहा कि सत्यअंहिसा, साहस, विनय के गुणो को साथ लेकर चलने की जरूरत है। श्री अनिल त्रिवेदी ने कहा कि हमने बाबुजी और कल्यान जैन के साथ में तय किया है कि सप्तक्रांति के मुद्दो को लेकर हम 23 मार्च को कार्यक्रम करेंगे। अनिल त्रिवेदी जी ने कहा कि यात्रा का सबसे बड़ा परिणाम अच्छा परिणाम यह रहा है कि देष के बारे में समझ रखने वाले नए 25 समाजवादी आन्दोलन के कार्यकर्ता तैयार हुए है। उन्होंने कहा कि विचारहीनता के दर्षन पर बाजारवाद टिका हुआ है। मुल्यो को बदलने का सबसे बडा संवाल है। उन्होंने कहा कि डॉ0 लोहिया ने यही कहा कि जो हो रहा है उसे बदलने की जरूरत है लेकिन विकास शहरीकरण, परिवारिक रिष्तो को लेकर समाज हतप्रभ खडा है, उसे आगे ले जाने का काम समाजवादियो को करना होगा। हमे अपने तक सीमित रहने के बजाय अन्य वैचारिक समूहो से संवाद और समन्वय स्थापित करना चाहिए। भारत की जनता ने रोटी पलटने का रास्ता सीख लिया है। झाबुआ में डॉ0 लोहिया ने मामाजी के माध्यम से जो कार्यकर्ता तैयार किए उन्होंने सीख लिया 15 दिन घर में 15 दिन समाज के लिए आज भी तमाम भगत मामा जी के विचार को फैलाने का काम कर रहे है। विनोबा जी 20 वर्षाे तक कही नही ठहरे। हर दिन नई जमीन और नए आकाष के साथ अपने विचार का प्रचार प्रसार करते रहे।

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