42 वॉ दिन - 19 सितम्बर

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42 वॉ दिन - 19 सितम्बर

रात्रि विश्राम इन्दौर में रामबाबू अग्रवाल जी के गेस्ट हाऊस मंे किया। सुबह योग किया। अनिल त्रिवेदी के यहॉ नाश्ता किया। उन्होंने बताया कि वे कई वर्षाे से जैविक खेती का प्रयोग कर रहे हैं। श्री पीथमपुर में अमरदास हारोडे़ जी एवं साथियो ने यात्रा का स्वागत किया। झाबुआ पहुंचने के बाद समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष श्री राजेश बैरागी पूर्व विधायक रायसिंग राही, मोहन महेश्वरी, रामसिंग भाई, मलू खूमाल, गोपाल थावडिया, रमेश थितरीया, भारत सिंह मेडा, श्रीमति जामूडी, मनसिंह गडावा, नाथू मोरी, कालू मेडा, धनसिंग, करवाह, दुकला मेडा, अमरसिंग मेडा, विदिया निनामा सरपंच, देवीसिंग मेडा, गणपत पाटीदार, संतोष भाईरजत थवडिया, के नेतृत्व में लगभग 1 कि.मी. की रैली निकाली गई। रास्ते मंे दैनिक जागरण के ब्यौरे प्रमुख द्वारा यात्रा का स्वागत किया गया। नवरात्रि के प्रथम दिन होने के कारण हजारो नागरिको का धार्मिक जुलूस देखने को मिला। टाऊन हाल में कार्यक्रम हुआ हमने साथियो को लोहिया स्मृमि चिन्ह भेट किये, झाबुआ के वक्ताओं ने मुख्य तौर पर वन भूमि पर कानून बनाए जाने के बावजूद आदिवासियो को कब्जा न दिये जाने, सिलीकोसिस से 750 झाबुआ के आदिवासी मजदूरो की गोधरा में स्थित पत्थर पीसने वाली फैक्ट्रीयो में काम करने के बाद मौत हो चुकी है। उन मालिको पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने, मृतको के परिवारो को पांच लाख रूपए की राशि मुआवजा के तौर पर दिये जाने, सभी विभागो का निशुल्क ईलाज कराने के साथ साथ ऐसी फैक्ट्री को बंद कराने के लिए आर पार का संघर्ष करने की अपील की। मैंने कहा कि रोज रोज आवेदन देने की बजाय बेहतर है कि एक बार हजारो की संख्या में मामावादी आदिवासियो झाबुओं जिलाधीश कार्यालय पर ''घेरा डालो डोरा डालो'' आन्दोलन चलाये तथा समस्या हल होने पर ही घेरा तोडे। मैने कहा कि जब मामाजी को पुज्यनीय मानते हैं तो उनके आदर्श के अनुसार जीवन भी जीना चाहिए तथा लगातार संघर्ष करते रहना चाहिए। कार्यक्रम के बाद गोधरा पहुंचे, जहॉ युसूफ मेहरअली सेंटर के धमेन्द्र भाई ने दिव्य भास्कर अखबार दिखाया जिसमें श्री प्रकाश शाह का लेख सप्तक्रांति यात्रा पर सम्पादकीय पेज पर प्रकाशित किया गया था। गोधरा में संतोषी माता मंदिर के पास सभा हुई जिसमें अमन समुदाय के साथी मौजूद थे, दीपक सन्तानी मुकुन्द सिंह, नन्दू भाई देसाई, केशव भाई पाटिल, लक्ष्मी आर पदभार, मनी जैन, सोलंकी, विरामेल दीवान आदि साथी मौजूद थे। सभी साथियो ने लोहिया जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। मैंने अपने सम्बोधन में कहा कि गोधरा की घटना ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी तक को यह कहने के लिए मजबूर किया कि मेरा सिर दुनिया के सामने शर्म से झुक गया। मैंेने कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री दिन रात विकास का दावा कर रहे हैं लेकिन बस्ती की हालत बता रही है कि विकास के दावे में सच्चाई कितनी है। मैंने कहा कि डॉ. लोहिया ने 15 अगस्त 1947 में दिल्ली में हो रहे आजादी के जश्न के कार्यक्रम में शामिल होने की बजाय महात्मा गांधी के साथ हिन्दू मुस्लिम के बीच हो रहे दंगे, कत्लेआम को रोकने का प्रयास कर यह बतला दिया था कि साम्प्रदायिक एकता कायम रखना डॉ. लोहिया की सर्वाेच्च प्राथमिकता थी। गुजरात में लोहिया की दृष्टि से काम करने की जरूरत हैं। रात्रि विश्राम यात्रियो के साथ श्री नवराज माध्यमिक शाला गोधरा में किया।

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