43 वां दिन - 20 सितम्बर
गुजरात मजदूर पंचायत द्वारा आयोजित प्रदेष स्तरीय सम्मेंलन मे यात्री दल शामिल हुआ। गुजरात की संयुक्त सोषलिस्ट पार्टी के संयुक्त मंत्री रहे न्यायालय और मैदान में लगातार संघर्ष करने वाले कामेन्द्रु भाई आचार्य का निधन 13 सितम्बर 2009 को हो गया था पूरा जीवन, उन्होंने समाजवादी आन्दोलन को मजबूती देने में लगा दिया। सबसे पहले सम्मेंलन में उन्हें याद किया गया तथा 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई। राजेष भाई द्वारा साथियो का परिचय कराया गया गौतम, राजेष, मदन मराठे जी ने गीत प्रस्तुत किए ''रात अंधेरी कट के रहेगी, धन और धरती बंटकर रहेगी''। श्री चिदम्बरम ने अत्यंत आत्मीयता के साथ हर यात्री का स्वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन जयंती भाई ने किया उन्होंने बताया कि गुजरात मजदूर पंचायत की स्थापना 37 वर्ष पूर्व 20 सितम्बर को यानी आज ही के दिन हुई थी। श्री रमेषचन्द्र परमार ने गुजराती में सप्तक्रांति में पुस्तक का अनुवाद किया था उस पुस्तिका का प्रकाषन लोहिया विचारमंच एवं डॉ0 राम मनोहर लोहिया शताब्दी समारोह द्वारा किया गया।
प्रकाष भाई ने सम्मेंलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि क्रांति की बात, सत्ता की बात नही होती। उन्होंने कहा कि श्री पाडंवकर ने लिखा है कि क्रांति की नियति उसका भाग्य सीता की तरह होता है। सीता को वन में ही रहना होता है। उन्होंने कहा कि हमे संघर्षाे की मूल्यो की प्रतिष्ठा करनी है। डॉ0 लोहिया ने कभी अपना जीवन बनाने के बारे में नही सोचा। वे सप्तक्रांति की बात करते थे यदि हमारे पास समग्र दर्षन है तभी सप्तक्रांति-सम्पूर्ण क्रांति हो सकती है। वह सत्ता मिल जाने पर नही रूकेगी। समग्र दृष्टि से क्रांति की बात होनी चाहिए। समाज को हर तरीके से सरकारो पर जनकल्याण के लिए दबाव बनाना चाहिए। डॉ0 लोहिया ने विषमता पर संसद में बहस छेड़ी थी। सूरत में उन्नीसवी सदी में राजाराम मोहनराय ने रेनेसा की आवाज उठाई। डॉ0 सुनीलम् की यात्रा का लक्ष्य है 1947 में प्राप्त स्वराज तथा 1977 की क्रांति को आगे बढ़ाना है। श्री याज्ञिक जी ने कहा कि मैंने डॉ0 लोहिया से समाजवादिया नजरिया सिखा। मैं पाकिस्तान गया लाहौर गया वहा जेल गया जहां भगतसिंह और उनके साथियो को फासी हुई थी साथियो ने बताया कि फासी की खबर सुनकर वहां खडे़ हजारो लोग रो रहे थे। वहां से एक तांगा वाला निकला वह मुसलमान था उसने वहा से निकलते हुए कहा कि भगतसिंह आजादी से शादी कर रहा है। शादी का गाना गाओ तब रंग दे बसंती चोला गाना गाया। अगं्रेजो ने उसे गोली मार दी। श्री याज्ञिक ने कहा कि आज हमे सप्तक्रांति की चर्चा करते हुए भगतसिंह और उस मुसलमान तांगे वाले दोनो को याद करना है। एसयूसीआई के श्री द्वारकानाथरथ ने भी यात्रियो का स्वागत किया। दिनेष, संतोष ठाकुर एवं गौतम ने अपने विचार रखे। श्री चिदम्बरम ने कहा कि डॉ0 लोहिया अपने सिद्धान्त को अपने आचरण के साथ जीने वाले वटवृक्ष थे। उन्होंने केवल राजनीति के लिए नही बल्कि पूरे समाज के लिए विचार दिए। उन्होंने कहा कि मुझे याद है 1965-66 में जब डॉ0 लोहिया गुजरात आए थे तब उन्होंने गुजरात के महापुरूषो का नाम पूछा था। अपने डॉ0 श्यामजी, कृष्णजी वर्मा का नाम लिया था जो बड़े क्रांतिकारी थे। डॉ0 लोहिया ने काग्रेंस का विरोध करने के लिए समाजवादियो से जनसंघ तक के साथ हाथ मिलाने को कहा था। उन्होंने कहा था कि एक ही कार्यक्रम होना चाहिए। उन्होंने मीरा बाई के रास्ते पर भी बोला था। श्री चिदम्बरम ने कहा कि सप्तक्रांति यात्रा हम सबके लिए वन्दनीय, अभिनन्दनीय तथा प्रेरणा देने वाली है। डॉ0 लोहिया ने गरीबी का अर्थषास़्त्र दिया था। श्री रथ ने कहा कि डॉ0 लोहिया हमारे लिए संघर्ष के प्रतीक है। श्री जयन्ती भाई ने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी यह हैं कि डॉ0 सुनीलम् देष में समाजवादियो की एकजुटता पैदा करने के प्रयास को तेज करे। यही डॉ0 लोहिया को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मैंने विस्तार से यात्रा के अनुभव बताते हुए कहा कि समाजवादी वोट में बहुत आगे बढ़ गए। रचना का काम भी चल रहा है। लोहिया के विचारो को लोग जनसंगठन बनाकर बडे पैमाने पर संघर्ष भी कर रहे है उन सभी को एकसाथ लाने की जरूरत है।
श्री चिदम्बरम ने कहा कि 23 मार्च 2007 से डॉ0 लोहिया जन्मषताब्दी काम कर रही है गुजरात में डॉ0 लोहिया को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि डॉ0 सुनीलम् ने बताया है कि लोग एकजुटता चाहते है लेकिन दिक्कत यह हैं कि लोग पार्टियो में बिखरे हुए हैं मुझे उम्मीद हैं यात्रा एकजुटता पैदा करेगी। उन्होंने कहा कि सप्तक्रांति का दृष्टिाकोण केवल सत्ता पाने तक सीमित नही रहना चाहिए। यह शोषणविहीन समाज बनाने का सपना है यह रचना का कार्य है। उन्होंने कहा कि हाल ही में विदेष मंत्री श्री शषि थरूर ने कहा है कि हवाईजहाज में जो लोग इकानामिकलास में यात्रा करते है वह कैटल (जानवरो) क्लास है। उनसे पूछना चाहिए क्या इस क्लास में गाय,भैस बांधी जाती है? उन्होंने कहा कि डॉ0 लोहिया यदि सदन में होते तब इस बयान का उन्हें करारा जवाब देते। राजनारायण होते तो मंत्री जूते खाते। हमारे बीच में डॉ0 लोहिया नही है लेकिन हम समाजवादी एकजुटता चाहते है उसके लिए हम सम्मेंलन मंे प्रस्ताव पारित करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान समाजवाद की बात करता है उसका मंत्री इस तरह की बकवास करे तो उससे इस्तीफा मांगने का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। आगामी 23 अक्टूबंर बिरावल मेें होने वाले सम्मेंलन की उन्होंने जानकारी दी।