44 वॉ दिन - 21 सितम्बर
अगले दिन हम 92 वर्षीय सर्वाेदय नेता चुन्नी भाई वैद्य से मिलने उनके निवास पर गए। उन्होंने कहा कि वे स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल होने पर असम में 12 वर्ष तक रहे। इमरजेंसी में यहां आए। इमरजंसी का विरोध करने वाली पत्रिका भूमिपुत्र निकाली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की एक प्रेस कांफ्रेस हुई थी जिसमें उन्होंने धोषणा की थी कि गांव की अविकसित भूमि भूमिहीनो को दे दी जाय। 18 वर्षाे से इस दिषा में कुछ भी नही हुआ। गरीबो को जमीन देकर खेती करने का प्रयोग असफल रहा। सरकार ने 2000 एकड़ जमीन कम्पनियो को देने का फैसला किया। मैंने संूची मांगी। गुजरात सरकार से आदेष वापिस लेने की मांग की। 11 महिने आन्दोलन चला इस काम को न रोकने पर मैंने चक्का जाम करने की चेतावनी दी। सरकार ने एकतरफ औद्योगिक घरानो को 12 हजार रूपये एकड, अम्बानी को 15 हजार एकड जमीन दी बताया कि 7 हजार गरीब परिवार के आदमियो को 3 हजार एकड़ से जमीन बांटी गई। संवाल यह हैं कि जमीन देने वाली सरकार कौन होती है। जल, जंगल, जमीन पर मालकियत किसकी है। सरकार 5 वर्षाे में खत्म हो जायेगी वह हमारी नौकर है। सर्वाेच्च न्यायालय ने फैसले में कहा है कि आदिवासी की जमीन खरीदी और न ही बेची जा सकती। न ही व्यापारिक उद्देष्य के लिए दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनो पर समाज की मलकियत को लेकर आन्दोलन करने की जरूरत है। पिछले 20 वर्षाे में सरकार ने जितने सौदे किए है उन्हें रद्द करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यदि गांधी जी जीवित रहते तो वे डा0 लोहिया और जेपी के साथ होते। अन्य वक्ताओ ने कहा कि डॉ0 लोहिया मारवाडी परिवार में पैदा हुए थे लेकिन क्रांतिकारी थे। वे समाजवादी थे लेकिन साम्यवाद के विरोधी थे। डॉ0 लोहिया ने रामकृष्ण, षिव, रामायण मेला तथा नदीयो और धर्माे पर जो लिखा हैं उससे पता चलता था कि वे प्रकाण्ड पंडित थे। उन्होंने बताया कि 27 जनवरी 1947 को गांधी जी ने डॉ0 लोहिया को कहा था कि बात करनी हैं। जिस दिन बुलाया उस दिन बात नही हुई अगले दिन गए तो गांधी जी सोये हुए थे। उन्होंने उठाया नही 30 जनवरी को जब मुलाकात के लिए निकले तब उनके मारे जाने की खबर मिली। उन्होंने कहा कि गांधी जी तुमने मेरे साथ दगा किया मैं अब तुम्हारे साथ दगा करता हू उन्होंने फिर से सिगरेट पीने शुरू की। उन्होंने कहा कि डॉ0 सुनीलम् समाजवादी आन्दोलन का नया नेतृत्व तलाषने निकले हैं इसलिए उन्हें धन्यवाद देता हंू। श्री याज्ञिक ने कहा कि समाजवादियो को नर, नारी समता, पिछडे वर्गाे को आरक्षण निजी जीवन में हस्तक्षेप नही तथा व्यक्तिगत सम्पत्ति में मोह नही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुजरात में विषमता बढ़ी हैं उन्होंने बताया कि काग्रेंस सोषलिस्ट पार्टी के गठन का विरोध श्री सरदार पटेल एवं मोरारजी भाई ने किया था। पहली टेक्सटाईल वर्कस् की लेवर कमेटी अषोक मेहता दिनकर मेहता, डॉ0 लोहिया ने मिलकर बनाई थी। कम्युनिस्ट भी 1940 तक समाजवादियो के साथ रहे। उन्होने कहा कि गुजरात में किसानो, मजदूरो, मछुआरो के संघर्ष की जरूरत हैं। ग्राम सभा के बिना प्रस्ताव के जमीने कम्पनियो को दी जा रही है। जमीने जा रही है गौ पालको की समस्याऐ बढ़ रही है अब मुम्बई से अहमदाबाद के बीच के स्थान को गोल्डन कारीडोर बोला जाने लगा है। उन्होंने कहा कि गुजरात में एैसा वातावरण बना हुआ हैं कि जो गुजरात में डॉ0 लोहिया की बात करते हैं उन्हें अजब तरीके से देखा जाता है। बात तक करना मुष्किल हो गया है। गुजरात में 28 मुसलिम समूह पिछडे वर्ग में शामिल हैं लेकिन उन्हें पिछडे वर्ग का सर्टिफिकेट नही दिया जाता। 95 प्रतिषत ईसाइ भी दलित क्रिष्चन हैं गुजरात में इसाई ओबीसी में गिने गये है। उन्होंने कहा कि काले बाल वाले बहुत कम समाजवाद की बात करते दिखलाई पडते हैं जिससे मुझे लगता हैं हमारी पीढ़ी समाजवाद को आगे बढ़ाने में निष्फल रही है। आजादी के समय भी जिन मुद्दो पर बात चलती थी वह बात आजकल चलनी बंद हो गई है। यह पीढ़ी संघर्ष से पूरी तरह कटी हुई है। श्री प्रकाष झा ने कहा कि मेरे बाल सफेद हैं लेकिन मैं स्वयं को युवा मानता हू परिवर्तन को मानने वालो की एक जमात होती हम परिवर्तन वादी हैं हम लोहा लेने वाले लोग है। उन्होंने कहा कि महागुजरात आन्दोलन से सत्याग्रह को बल मिला। उन्होंने कहा कि परिवर्तन की प्रक्रिया मिली जुली होती है। हम कम जरूर हैं लेकिन हारे हुए नही है उन्होेंने कहा कि नरेन्द्र मोदी को केवल 50 प्रतिषत वोट पडते याने 50 प्रतिषत उसके खिलाफ। आज भी हमारी इतनी ताकत हैं कि हम परिवर्तन की लड़ाई-ताकत से लड सकते है उन्होने कहा कि मैं परिवर्तन के तीन प्रकाष में डा0 लोहिया के साथ मार्क्स और डॉ0 अम्बेडकर नाम जोडना चाहता हू डॉ0 लोहिया ने भी कहा था कि बाबा साहब को पूरे समाज का नेतृत्व करना चाहिए था 9 अगस्त के दिन से हम सब मिलकर अहमदाबाद में लोक आन्दोलन की प्रकिया चला रहे है। 10 दिसम्बर तक हम संगठन बनाने की प्रक्रिया में है। असीम भाई ने कहा कि सिक्खो के नरसंहार तथा अल्पसंख्यको के कत्लेआम के बाद भी हम सत्ता को हिला तक नही पाये लेकिन अब पहली बार गुजरात में कत्ल करने वालो को सजा दिलाने में हमने सफलता पाई है। जब हिन्दु, मुस्लिम का धु्रवीकरण हो गया इसके बावजूद भी हमारी यूनियन नही टूटी। 10 साल में यूनियन ने बडे आन्दोलन चलाए आज हम गांरटी के साथ कह सकते है कि मोदी हमारी ताकत को कुचलने की स्थिति में नही है। हमारे नेतृत्व की कमी यह हैं कि हम सांझा संगठन नही बना पाए लेकिन गुजरात में आन्दोलन फैल रहा हैं मैं मार्क्स और लोहिया के बीच वैचारिक रूप में झूलता रहा हॅू लोकतंत्र के बिना समाजवाद सम्भव नही है, समाजवाद यूरो केन्द्रीत नही। तीसरे देषो की दृष्टि से अपनाया जाना चाहिए। मार्क्सवादी, अम्बेकरवादी और समाजवादी के विचारो के साथियो को एकजुट होना चाहिए लोहिया को पुर्नजीवित करने की जरूरत है। डॉ0 सुनीलम् को प्रोत्साहन देते हुए हमे एक बार फिर समाजवादी आन्दोलन को ऊर्जा देना हैं उसमें फिर बिखराव न हो यह सुनिष्चित करना चाहिए। श्री गौतम ठक्कर ने कहा कि गुजरात में जागृति तेजी से फैल रही है उस जागृति को दिषा देने की जरूरत है।
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