49 वॉ दिन -26 सितम्बर भटिंडा, अमृतसर

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49 वॉ दिन -26 सितम्बर भटिंडा, अमृतसर

पंजाब के ग्राम मेहता के गुरूद्वारे में सुबह कार्यक्रम हुआ। जीएमफ्री इण्डिया अभियान के श्री अषोक त्रिपाठी और सुश्री कविता ने बताया कि हरतेजसिंह मेहता, खेती विरासत मिषन के साथ जुड़े है। उन्होंने कहा कि इस गांव में जैविक, प्राकृतिक खेती का प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में देष की कुल भूमि की डेढ़ प्रतिषत भूमि है लेकिन जिसे पूरा देष अन्न्दाता कहता है। पंजाब की उस अन्नदाता को अब कैंसर केपीटल आफ इंडिया के तौर पर जाना जाता है। हर चौथे घर में कैंसर हो रहा है 400 में से 50 लोग कैंसर से पीड़ित है तथा बेऔलाद है। पानी तेजी से कम हो रहा है। हरितक्रांति के तौर पर पहचाने जाने वाले पंजाब के हर किसान पर 40 हजार रूपया का कर्जा है। संगरूर में सबसे ज्यादा आत्महत्याऐ हुई है। पंजाब की वास्तविकता यह है कि वहां वास्तविक आमदनी लगातार घटती जा रही है। भटिंडा में सबसे ज्यादा 18 प्रतिषत (पूरे पंजाब राज्य का) इस्तेमाल हो रहा है कीटनाषक ने पर्यावरण, शरीर, मिट्टी, पानी पर विपरीत असर डाला है। भटिंडा से बीकानेर टेªेन में बडे पैमाने पर कैंसर रोगी जाते है इसलिये कई लोग इसे कैंसर टेªन भी कहते है। खेत मजदूरो की हालत कीटनाषक के चलते बिगड़ रही है। स्प्रे करते करते कई मजदूर मर जाते है। 6 सरकारी अस्पतालो में 13 लोग कीटनाषक से एक वर्ष में स्प्रे के दौरान मरे है। खेती की तरक्की के नाम पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियॉ पंजाब के किसानो को लूट रही है। एैसी खेती ज्यादा समय तक चलनी वाली नही है। सरकार खाद की सब्सीडी खत्म कर रही है। उन्होंने बताया कि 800 किसान एकसाथ मिलकर जैविक खेती कर रहे है। श्री अषोक त्रिपाठी ने कहा कि डॉ0 लोहिया उपयुक्त तकनीकी बात किया करते थे। जो तकनीक हमारे लिए उपयुक्त हो हमारी जरूरत को पूरा करती हो, नुकसानदायक न हो तभी हमे उसका उपयोग करना चाहिए। श्री हरतेजसिंह मेहता ने यात्रियो को स्वागत करते हुए कहा कि पंजाब में हरितक्रांति कर्जा और खुदखुषी लेकर आई है। डेढ़ प्रतिषत रकबे में 18 प्रतिषत कीटनाषक का इस्तेमाल जब होगा तब इसके अलावा क्या हो सकता है? गांव की आत्मनिर्भरता खत्म हो गई है सब कुछ बाजार के हवाले कर दिया गया है। एक जमाना था जब एक क्विंटल कपास के बराबर एक तौला सोना आता था। अब हम अमरीका की नकल करने के चक्कर में बर्बाद हो रहे है अमरीका की सरकार तो अपने किसानो को पैसा देती है वहॉ 25 एकड़ में एक गाय पाली जाती है। यानी हमे 25 एकड़ पर जितनी सब्सीडी मिलती है अमरीका की एक गाय को उतनी सब्सीडी दी जाती है। खेती को कारखाना बनाने की सोच ही गलत है। उन्होंने कहा कि पंजाब पहले खुषहाली के लिए जाना जाता था। अब पंजाब बीमार है। उपस्थित किसानो ने कहा कि सरकार यदि केवल एक काम करे की हमे जो कुछ खेती के लिए चाहिए हमे समय पर उपलब्ध करा दे तो हमे सरकार से कुछ नही चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने अपने गांव में शराब, गुटका, पान पर रोक लगाई है हम चाहते हे कि किसानो का कर्जा माफ हो तथा उसे उचित फसल का दाम मिले। कविता जी ने बताया कि पंजाब का युवा नषे पर आश्रित है। उन्होंने बताया कि पंजाब में खेती के लिए नहरो का पानी तथा बिजली फ्री है। कम से कम 100 रूपये मजदूरो को मिलता है तथा सरकार ने 2800 रूपये क्विंटल रेट तय किया है लेकिन 2200 से 2500 क्विंटल कपास बिक रहा है। उन्होंने बताया कि किसान कई गुटो में बटे हुए है लेकिन एकता, उग्रहा (सुखदेवसिंह) गुट की सबसे ज्यादा ताकत हैं किसान युनियन के 9 गुट पंजाब में काम कर रहे है। लेकिन एकता, उग्रहा गुट पर माओवादियो की छाप सरकार ने लगाई है। उन्होंने कहा कि पंजाब को डूबने से बचाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है लेकिन पंजाब सरकार जैविक खेती हेतु सब्सीडी नही देती है। कृषि वैज्ञानिक कहते है कि जैविक खेती यदि पंजाब का किसान करने लगेगा तो देष भूखा मर जायेगा यह सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि पंजाब की 94 प्रतिषत भूमि सिंचित है। नहर के इस्तेमाल का किसानो को पैसा नही देना पड़ता। उन्होंने बताया की इस बार कपास में इल्ली लग गई हैं इस कारण कीटनाषक का इस्तेमाल और ज्यादा अधिक बढ़ गया है। वीरेन्द्र इन्डस्ट्रीज में चल रहे संघर्ष की जानकारी साथियो द्वारा दी जाती है।

यात्रा रात के समय अमृतसर पहुंची। 87 वर्षीय श्री रतनसिंग बागी जी तथा 75 वर्षीय श्री अषोक निर्दाेष जी यात्रियो का कई घंटो से लाल झण्डा हाथ में लेकर रास्ते में इंतजार कर रहे थे। अषोक निर्दाेष गोवा आन्दोलन के सत्याग्रही थे। वे बताते हैं कि उन्होंने पंजाबी विरासत फाउंडेषन स्थापित किया है। जहॉ पंजाब की संस्कृति को बचाने, बढ़ाने को लेकर कार्यक्रम किए जाते है। हर शनिवार कार्यक्रम होता है। हर वर्ष एक मेला लगाया जाता है जिसमें एक लाख से अधिक पंजाबी षिरकत करते है। हम पंजाबी विरासत के सरदार श्री भूपेन्द्रसिंह मान द्वारा शहीद बलदेवसिंह मान की शहादत के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में पहुंचते है। वहॉ यात्रियो का सम्मान किया जाता है। यषपालसिंह बताते हैं कि पहले शहीद मदनलाल ढींगरा की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया गया था तथा अब शहीद बलदेवसिंह मान की स्मृति में कार्यक्रम किया जा रहा है। बलदेवसिंहमान लेखक होने के साथ साथ पंजाब स्टूडेंट यूनियन के छात्र नेता थे उन्होंने बेरोजगार को रोजगार देने तथा जो जमीन को जोते बोये मालिकाना हक उसी का होवे जैसे आन्दोलन चलाए। कार्यक्रम के दौरान अनेक शायरो ने शायरी प्रस्तुत की।

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