64 वॉ दिन - 11 अक्टूबर
रात्रि का विश्राम जनसत्ता अर्पाटमेंट गाजियाबाद में किया। श्री सुरेन्द्र मोहन की अध्यक्षता में लोकनायक जयप्रकाष नारायण की 107 वी जयंती के अवसर पर दिल्ली के एनआरएनयू. (एचएमएस) के कार्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को सम्बोधिंत करते हुए राजस्थान के वरिष्ठ समाजवादी नेता पूर्व सांसद पं0 रामकिषन ने कहा कि मध्यम वर्ग के उदय को देखते हुए समाजवादी सिद्धान्त को पुर्नपरिभाषित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमने बहुत सारे मुददो पर सफलता हासिल की है लेकिन अभी डॉ0 लोहिया का सपना पूरा किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि विचार और आचरण में तारतम्य बिठाना जरूरी है। हम टुकडो में बंटे हुए है यात्रा के माध्यम से फिर से एकता का बीज डालने का काम हुआ है। मणिमाला ने कहा कि जे0पी0 आन्दोलन ने हजारो नौजवानो की जिन्दगी बदल दी। उन्होंने कहा कि 30 वर्ष के बाद फिर से जे0पी0 आन्दोलन की जरूरत महसूस हो रही है। बोधगया आन्दोलन 10 वर्षाे के बाद जमीन बंटवाने में कामयाब रहा। हमे आन्दोलन पर भी भरोसा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि झारखण्ड राज्य को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगह आन्दोलनकारियो की जमीन खिसकती दिखलाई दे रही है। श्री टी0 षिवराम रेडडी ने कहा कि वास्तव में जे0पी0 आन्दोलन यदि सफल रहा होता तो फिर से आन्दोलन की आवष्यकता नही होती। उन्होंने कहा कि लोग एक पार्टी की जरूरत मानते है लेकिन मुझे समाजवादियो के महासंघ बनाने की जरूरत दिखलाई पडती है। वक्ताओं ने कहा कि समाजवादियो को नियमित तौर पर समाजवादी अध्ययन केन्द्र चलाना चाहिए। घनष्याम भाई ने कहा कि देष भर में अधिकतर जनआन्दोलन गांधी, लोहिया जयप्रकाष को मानने वाले चला रहे है उन्होंने कहा कि यात्रा में देष भर में नई आषा पैदा करने का काम किया है उन्होंने कहा कि देष को वैकल्पिक राजनीति तथा वैकल्पिक विकास के मॉडल की जरूरत है। प्राकृतिक पर विजय प्राप्त करने की नही बल्कि प्रकृति के साथ चलने की जरूरत है। राजीव भाई ने कहॉ कि देष को यूरोप केन्द्रीयता से मुक्ति दिलाने का काम डॉ0 लोहिया ने किया। मार्क्सवाद के बाद का अर्थषास्त्र लोहिया ने बताया। डॉ0 बी0डी0 शर्मा ने कहा कि जिस तीखेपन से डॉ0 लोहिया ने तीन आना बनाम 25 हजार रूपये प्रधानमंत्री पर खर्चे की बहस खडी की थी। वह बहस आज और अधिक समसामयिक हो गई है। गैरबराबरी एक ओर एक लाख तक पहुंच गई हैं किसान और गांव खत्म हो रहें है। भूमि जोतने वाले को जमीन देने का विचार खत्म हो रहा है। किसान का मर्ज ही कर्ज है लेकिन प्रधानमंत्री कर्जा देकर ही मर्ज ठीक करने की नीति अपना रहे है। स्वामी सहजानंद ने कहा था कि 70 वर्ष के बाद किसानो के पास जमीन नही बचेगी वही स्थिति बन गई है। सभी वक्ताओ ने जे0पी0 को याद करते हुए कहा कि जे0पी0 ने सम्पूर्ण क्रांति की व्याख्या सप्तक्रांति के विचार के आधार पर की थी तथा सप्तक्रांति के विचार को गांव गांव तक ले जाना हर समाजवादी का लक्ष्य होना चाहिए।
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