65 वॉ दिन - 12 अक्टूबर - 2009 दिल्ली

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65 वॉ दिन - 12 अक्टूबर - 2009 दिल्ली

12 अक्टूबर 2009 को सुबह 9.30 बजे सभी यात्री तैयार होकर गाजियाबाद से निकले। करीब 10.45 पर हम सभी यात्री मंडी हाऊस पहुंचे। मंडी हाऊस पहुंचकर, हम यात्री आश्चर्यचकित लगभग थे 1000 से ज्याद लोग देष के कई राज्यों से सप्तक्रांति विचार यात्रा के समापन समारोह में शामिल होने आए थे। हमने मंडी हाऊस से रैली की शुरूआत की। लोहिया के सप्तक्रंाति विचारो से लिखा बैनर लिए समाजवादी साथियों के साथ सुरेन्द्र मोहन जी आगे चल रहे थे। समाजवाद के नारे जोर-षोर से युवा साथी लगा रहे थे। 12 बजे के करीब हमस ब जंतर मंतर पहुंचे। जंतर मंतर पर एक मंत्र व करीब 300 साथियो का बैठने का एक मंडल लगा हुआ था। बहुत सारे साथियों को धूप में ही बैठना पड़ा। मंच के सूत्र संचालन का काम मैंने स्वंय किया। मैंने मंच पर एक-एक कर उन सभी साथियो को बुलाया जो कभी एक साथ कही एकत्रित नहीु हुए होंगे। मंच पर सप्तक्रांति विचार यात्रा के द्वारा ''इसलिए यह संघर्ष की हम चुने'' गीत की प्रस्तुति की गई। मंच पर लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान का आगमन हुआ। गीत के पष्चात यात्रा की तरफ से बात करने का अवसर गुड्डी को दिया। गुड्डी ने यात्रा की शुरूआत से लेकर दिल्ली प्रदेष अध्यक्ष ऊषा यादवजी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ पहुंची। पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा समाजवादी पार्टी जिन्दाबाद के नारे लगाए जा रहे थे। यात्री दल ने समाजवादी एकता जिन्दाबाद के नारे लगाए। पत्रकारो और टी.वी. चैनलों के एक बड़े समूह ने रामविलास पासवान, ऊषा यादव, सुरेन्द्र मोहन व डॉ0 सुनीलम् को घेर लिया। रामविलास पासवानजी ने पत्रकारो को जवाब देते हुए कहा कि ''इस यात्रा ने डॉ0 लोहिया का विचार आम जनमानस तक पहुंचाने का काम किया है'' लोहिया के विचार आज भी हम सबमें जीवित ह। ''यात्रा के मंच पर विरष्ठ साथी कैप्टन अब्बास अली, रजिन्दर सच्चर, पंडित रामकिशन, सांसद राजस्थान, पापी रेड्डी सोशलिस्ट फ्रंट आन्ध्र प्रदेष, प्रेमनाथ, विधायक (केरल) शेख अब्दुल रहमान, पूर्व सांसद, समाजवादी पार्टी, जम्मू व कष्मीर, डॉ0 बी0डी0 शर्मा संयोजक भारत जनआन्दोलन, बनवारीलाल शर्मा, आजादी बचाओ आन्दोलन, आराधना भार्गव, गीता रामृष्णन, राष्ट्रीय समन्वयक, जन आन्दोलनो का राष्ट्रीय आन्दोलन, भरत लाटकर अध्यक्ष राष्ट्र सेवा दल, हरेष शाह सह सचिव युसुफ मेहरअली सेन्टर, अन्य कई बुद्धिजीवी, जन आन्दोलनकारी, सक्रिय कार्यकर्ता संगठनो के साथी वहॉ उपस्थित थे। डॉ0 बी0डी0 शर्माजी ने कहा जब देष में किसान आत्महत्या कर रहा है उसके बारे में सरकार का दुर्लक्ष होना निदंनीय है वो किसान इस देष के लोगो से कहता ''बता मेरे दोस्त मेरी मेहनत का मोल क्या? बनवारीलाल शर्माजी ने कहा ''अब दूसरी आजादी की लड़ाई लड़नी होगी हमस ब को साथ मिलकर सरकार के सामने आना होगा तब तो कोई बात बनेगी वरना कोई बात बनने वाली नही है'' भरत लाटकरजी ने अपनी बात कहते हुए कहा की ''इतना आसान नहीं था 21 राज्यों की यात्रा करना परन्तु डॉ0 सुनीलम् जी और युवा साथ्यिों ने अपनी मेहनत कर इसे सफल बनाया। राष्ट्र सेवा दल ने आजादी के आन्दोलन में बड़ी भूमिका निभाई थी। भविष्य में इसकी फिर से आवश्यकता होगी इसे जानते हुए हमने राष्ट्र सेवा दल के काम को रोका नहीं''। हरेष शाहजी ने कहा कि ''रोजगार देष के युवाओ की सबसे बड़ी समस्या है। सरकार को काम के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल करना चाहिए और इसकी जिम्मेंदारी सरकार को लेनी चाहिए''। गीताजी ने कहा कि तमिलनाडु के लोग सेज का विरोध इसलिए कह रहे है कि ''वो इस पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा थोपे गए औद्योगिकरण को नहीं अपनाना चाहते। उन्हें उनकी परम्परागत व्यवसाय कृषि को ही आगे बढ़ाना है'' शेख अब्दुल रहमानजी ने कहा कि ''जम्मू व कष्मीर के हालातो को समझने व समझाने की जरूरत है। इसलिए जम्मू व कष्मीर पीस फाऊंडेशन की मदद से हमस ब जम्मू व कश्मीर में अमन और शांति के लिए काम कर रहे है। भविष्य में हम सब मिलकर भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश महासंघ के निर्माण की प्रक्रिया के लिए काम करेंगे डॉ0 लोहिया का सपना था। ''पंडित रामकिशनजी ने कहा कि ''समाजवादियो की इतनी बड़ी ताकत देश में मौजूद है, यह सब डॉ0 सुनीलम् से जानकार मुझे लगता है कि अब समाजवादी फिर से जी उठेंगे। हमें सोचना होगा कि इस यात्रा को सफल बनाने की दृष्टि से क्या हम कुछ निकाल सकते है?'' आराधना भार्गवजी ने कहा कि ''सरकार ने अब ठान ली है, हमें कुचलना। लेकिन हम रूकेंगे नही, किसान, मजदूर, महिला विरोधी नीतियो का विरोध देश के कोने कोने में करते रहेंगे''। सुरेन्द्र मोहनजी ने कहा कि सप्तक्रांति विचार यात्रा का आयोजन दो संगठनो की मेहनत और डॉ0 सुनीलम्जी के अथक परिश्रम से सफल हुई है और खुशी है कि 65 दिनों बाद भी सभी यात्री थके नहीं है। वही जोष दिख रहा है जो 9 अगस्त को अगस्त क्रांति मैदान में दिखाई दे रहा था हमारा प्रयास रहेगा कि समाजवादी ताकतें एक मंत्र पर एकत्रित हो और एक साथ कार्यक्रम बनाए। कर्नाटक के साथी राममनोहरजी ने कहा कि ''मुझे तो पता ही नही था कि देष में लोहिया के विचारों को मानने वालो की संख्या इतनी बडी है। जब मैंने यात्रा की तैयारी के लिए बैठक बुलाई तो पता चला कि लोहिया कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे उनमें विषेषता थी अपने कार्याे की छाप छोड़ने की''। आन्ध्र प्रदेश के साथी पापी रेड्डी ने कहा कि ''भाषा का सवाल लोहिया के विचारों का सवाल है, मैंने अपने राज्य में तेलगु भाषा को लेकर जो काम किया है। अंग्रेजी का वर्चस्व समाप्त करने के लिए हम सबको वहीं काम क्षेत्रीय स्तर से राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहिए। इसके लिए ठोस कार्यक्रम बनने चाहिए। समाजवादी पार्टी की दिल्ली प्रदेष अध्यक्ष ऊषा यादवजी ने पार्टी की तरफ से सभी यात्रियों को लोहियाजी की स्मृति में एक सम्मान चिन्ह भेंटस्वरूप दिया। युसुफ मेहरअली सेन्टर द्वारा भी यात्री दल को सम्मानित किया गया। केरल से आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र कुमारजी ने कहा कि ''वो दिन दूर नहीं जब समाजवादी ताकत सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरेगी और इस यात्रा का उसमें बड़ा योगदान होगा। कार्यक्रम के अंत में कैप्टन अब्बास अली ने अपनी बात रखी और कहा कि ''हमने आजादी का स्वप्न अब आप सबके हाथ सौंप दिया हैं अब आप इसे जीवित रखे या मार दे, यह आप पर निर्भर है। मैंने तो आजादी के सपने की बात करनी बंद कर दी थी लेकिन इस यात्रा ने मुझमें फिर वही नेताजी सुभाषचन्द्र बोस वाला जोष भर दिया है। अब आप सबको इस आजादी सपने की साकार करने के लिए लड़ना होगा। युवाओं द्वारा समाजवाद जिन्दाबाद के नारे लगाए जा रहे थे।

दिल्ली में यात्रा के आयोजन का पूरा इंतजाम डॉ0 राममनोहर लोहिया जनशताब्दी समारोह समिति ने किया था, इसमें विशेष योगदान वरिष्ठ समाजवादी साथी सुरेन्द्र मोहन ने किया था। यात्रा के समापन कार्यक्रम में आए देशभर के लोगो के रूकने की व्यवस्था दिल्ली के गुरूद्वारे में की गई थी।

मार्च 30 2010 से पूर्वोत्तर की यात्रा की गई थी,  इसे  "पूर्वोत्तर की यात्रा" के शीर्षक के साथ अलग से wattpad पर प्रकाशित कर रहा हू. 

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⏰ पिछला अद्यतन: Jul 16, 2016 ⏰

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