डॉ लोहिया द्वारा प्रतिपादित सप्त क्रांति के उद्देष्य
· अमीर-गरीब के बीच 1ः10 से अधिक असमानता खत्म हो।
· अंतराष्ट्रीय गैर बराबरी खत्म हो।
· नर-नारी के बीच भेद समाप्त हो।
· रंग-भेद समाप्त हो।
· हर स्तर पर शस्त्रो के निर्माण और उपयोग पर रोक लगें।
· सडी गली जाति व्यवस्था समूल नष्ट हो ।
· व्यक्तिगत जीवन के कुछ क्षेत्रों में संगठन अथवा राज्य का दखल बंद हों।
· उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयो में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त हो। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषा का प्रयोंग उच्च न्यायालय में शुरू किया जाये।
· हायर सेंकेेंडरी स्तर तक की शिक्षा निःशुल्क, अनिवार्य एवं समान शिक्षा देने का कानून बनाया जाये। स्कूल, कॉलेजो, विश्वद्यालयों, कोचिंग क्लासें, नर्सिग होमों की दिनो दिन अंधाधुध फीस वृद्धि पर रोक लगााकर फीस की सीमा निर्धारित की जाये।
· किसानों की प्रतिमाह आय केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की तरह न्यूनतम 10 हजार रूपये प्रति परिवार प्रति माह सुनिष्चित की जाये, खेतिहर मजदूरों को कुषल श्रमिक का दर्जा देकर मजदूरो का भूगतान किया जाये।
· दहेज के खिलाफ बनाये गये कानूनो पर शक्ति से अमल हो, दहेज लेने और देने वालों का सामाजिक बहिष्कार हो।
· जाति सूचक उपनाम लगाना बंद हों।
· परिवार, स्कूल, थानों में हिंसा करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की जायं, शांतिपूर्ण आंदोलन पर गोली चालन पर कानूनी रोक लगाई जाये।
· भ्रष्टाचार संबंधी मुकदमो को तीन माह के भीतर निपटाने के लिए विषेष न्यायालय गठित किए जाए, भ्रष्टाचार साबित होने पर अपराधी की संपूर्ण चल-अचल संपत्ति राजसात करने का कानून बनाया जाए।
· पीने का पानी, शिक्षा और स्वास्थ, परिवहन के बाजारीकरण पर रोक लगाई जायें।
· संविधान में निहित समता मूलक समाज की स्थापना के उद्देष्य से गैर बराबरी खत्म करने के लिये आय खर्च की सीमा कानूनी तौर पर निष्चित की जाये।
· सीमा से अधिक संपत्ति जब्त की जाये, विदेशों में जमा काला धन देश् में लाने के लिये संसद मे प्रस्ताव पारित कराकर, जब्त राषि से पीने के पानी की व्यवस्था की जाये।
· एस.ई.जेड. कानून का खात्मा हो, कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण पर कानूनी रोक लगाई जाये।
· सबको रोजगार का मुलभूत अधिकार मिले।
· जाति, धर्म और लिंग के नाम पर हिंसा करनेवालों को आजीवन कारावास हो।
· जो सरकारी जमीन पर खेंती करके अपना जीवन निर्वहन कर रहे है, उन्हे उस जमीन की मालकियत मिलनी चहिए। गॉव व शहरों में सरकारी जमीन पर रहने वालों को भी जमीन का मालिकाना हम मिले।