आज इस खाली-खुली आसमान को देखकर एक ख्याल आया
इस आकाश में अकेले चांद का दर्द महसूस हुआ।
इन हवा के झोकों ने उन सुनहरी याद, यादों को दोहराया।माँ का सिर पे हाथ फेरना,
पापा का डांट कर फिर मुझे मनाना,
आज याद आते हैं वो हसीन लम्हें बचपन के
अपनी ही धुन में चलते चलते कहीं खो से गए हैं ये।वो दिन भी आज लगने लगीं हैं जैसे फूलों का बहार,
याद आते हैं वो माँ का मासुमीयत भरी प्यार।।