कुछ ख्वाब

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ख्वाबों में ही चाहे ख्वाब बना लेता,
कि काश ख्वाबों में ही चाहे रह जाता।
ख्वाबों का टूटना गम तो ना कहलाया।
आज भी तुझे ख्वाबों में देखने का ख्वाब देखते हैं।
लेकिन क्या करें, कुछ ख्वाब ख्वाब रह जाते हैं।

Some Dreams / कुछ ख्वाबWhere stories live. Discover now