"फूल हो तुम इस चमन के"

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फूल हो तुम इस चमन के यह तुम्हें मालूम है
दूर मुझसे रह रहे हो यह तुम्हारी भूल है।

एक दिन दूर तुम से जब कभी हो जाऊँगा
तुम बुलाओगे मुझे तब भी न मैं मिल पाऊँगा ।

तब यह सोचोगे बिछड़ कर गए थे किसलिए
क्या तुम्हें मिल पाएगा  प्यार ,तुम जो खो चुके हो ।

है जहाँ में धन बहुत लेकिन भला किस काम का
जब सहारा न मिला उसे किसी के प्यार का ।

तन्हा-तन्हा जिन्दगी रहती है बहुत सूनसान
एक तन्हा पेड़ जंगल में खड़ा क्या मान है ।

हो गया इतना बड़ा कोई न उसको छू सके
देखकर ऊँचाई अपनी कितना उसे अभिमान है ।

रह गए छोटे सभी जब वृक्ष उसके सामने
तब भला मिलता वह झुक कर कैसे सबके सामने ।

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