जिस डगर पर गए तुम मुझे छोड़कर
उस डगर पर कदम मेरे बढ़ते गएकोई परिचित सी आवाज़ कहने लगी
छोड़ो अब तुम न पीछा मेरा करोतुम भटकते हुए राह पर न चलो
आत्मा दूर तुमसे बहुत हो गई हैवक्त कट जाएगा रोते-रोते यूँही
रूह कहकर अचानक चुप हो गईरोशनी कहाँ अब नज़र में मेरी
बात करती थी तुम से सुबह शाम जोकट गए सारे बंधन जो जकड़े रहे
उम्र भर बेबसी का सहारा लिएकौन है साथ तन्हा सफर कर लिया
आँसू बरसाऊँ अब और किस के लिए ।
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