चोरी -चोरी चुपके से
दो नैनों की खिड़की से
रातों के अंधियारों में आयेंगे तेरे सपनों में
चोरी -चोरी चुपके से1)जिस पल मेरे साथ होते हो
सुंदर पल वो जीवन के
वारू अपना जीवन सारा,
उस इक पल की चाहत में
चोरी -चोरी चुपके से
रातों के अंधियारों में आयेंगें तेरे सपनों में
2)भर कर तुमको बाहों में
साँसें लेकर साँसों में
तुम हो मेरे ,मेरे अपने कह दूँ तुम्हारे कानों में
दो नैनों की खिड़की से
रातों के अंधियारों में आयेंगे तेरे सपनों,
चोरी -चोरी चुपके से३)तुम रूठो मैं तुमको मनाऊँ
तुम सो जाओ तुमको जगाऊँ
तोड़ गगन के सारे तारे भर दूँ तेरे आँचल में
दो नैनों की खिड़की से
रातों के अंधियारों में ,आयेंगे तेरे सपनों में
चोरी -चोरी चुपके से
दो नैनों की खिड़की से
आएगें तेरे सपनों में