समझ नहीं आता की क्या लिखूँ,
कविता लिखूँ की कहानी लिखूँ,
निज अपने कुछ भाव लिखूँ,
या दिए अपनो के घाव लिखूँ,
देश पर कुर्बान कहानी लिखूँ,
या नशे में बर्बाद जवानी लिखूँ,
समझ नहीं आता की क्या लिखूँ...
कविता लिखूँ या कहानी लिखूँ,इस देश को सोने की चिड़ियाँ लिखूँ,
या जात-पात, मेरा धर्म महान में उलझी बेड़ियाँ लिखूँ,
कोने-कोने मे पसरा दंगा-फसाद लिखूँ,
या झूटी शांति-सौहाद्र लिखूँ,
सत्यमेव जयते: लिखूँ,
या भ्रष्टमेव जयते: लिखूँ,
समझ नही आता की क्या लिखूँ,
कविता लिखूँ या कहानी लिखूँ,नेताओ की सीनाज़ोरी लिखूँ,
या वोट बैंक की मज़बूरी लिखूँ,
चंद पैसो मे बिकता वोट लिखूँ,
या खोखले ज़मिरो को खरीदता नोट लिखूँ,
न्याय व्यवस्था का आधुनिकीकरण लिखूँ,
या न्यायपालिका का चीरहरण लिखूँ,
समझ नही आता की क्या लिखूँ,
कविता लिखूँ या कहानी लिखूँ,रिश्तों में आयी दुरी लिखूँ,
या व्यस्त समाज की मजबूरी लिखूँ,
पहली नज़र का प्यार लिखूँ,
या काम ग्रसित आचार लिखूँ,
विज्ञान के नित नए चमत्कार लिखूँ,
या आये दिन होते बलात्कार लिखूँ,
समझ नही आता की क्या लिखूँ,
कविता लिखूँ या कहानी लिखूँ,----------------------------------------------------------------
#सूरजउपाध्याय6/8/16