आ बैठो मेरे पास,
करनी है तुमसे वो बात
करे हर माँ बेटी के साथ
तेरा इस दुनिया में आना
घुटनों चलना ,तुतलाना
बाँहें पकड़ मेरी सीढ़ी पर चढ़ना
घबराना!फिर सम्भल जाना
दिन महिनों और साल बीते
बीते जीवन के कई साल
हर पल मैं थी तेरे साथ
रखती हर बात का ख्याल
कट गये जीवन के पल कठिन
बीते जैसे दिन और रात
लोगों की सोच पर थी हैरान!
सोचूँ ,जब वो बीती बात
बेटा नहीं था मेरे पास
फिर भी !कभी भी !
नहीं हुआ--खालीपन का अहसास
बेटों से बढ़ कर पाला था तुमको
दुनियाँ से लड़कर जीता था खुदको
तुमको पाया तो जाना
बेटियाँ होती ही हैं हीरा
रखा था बरसों छुपाकर पास
कर दूँगी कल विदा ,दुल्हन बनाकर पिया के पास
मेरी यही बात अब बेटी
बाँध लेना आँचल में गाँठ
कल भी हम थे तेरे साथ
कल भी रहेंगे तेरे साथ
तूँ भी निभाना इस घर की लाज़
देना पिया का हर कदम पर साथ
करे दुनियाँ तुम पर नाज़
दिल से प्यार न होगा कम कभी
घर से करूँगी विदा ,दिल से नहीं!!!!