स्नेह की दिपावली

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कलेह-कलैश को आओ मिलकर मिटाऐं
स्नेह के बात्ती से दिया जलाऐं

वैर ना हो मन मैं,
हर अमित्र को मित्र बनाऐं
प्रेम के प्रकाश से,
हर रिस्ते को जगमगायें
आओ स्नेह की बाती से मिलकर दिया जलाऐं

प्यार के मिश्री को वातावरण में घोले हम
कोई गरीब- अमीर का घेरा ना हो
कोई जात -पात का रोड़ा ना हो
धर्म -मजहब का दिवार ना हो
आओ सब को गले लगायें
नफरत के दिवार को, आओ मिलकर तोड़ जाऐं
आओ स्नेह की बाती से मिलकर दिया जलाऐं

किसी कोने में रह ना जाऐं,
कलह-कलैश का अंधियारा
आओ मिलकर इस अंधियारे को मिटाऐं
आओ स्नेह के बाती से मिलकर दिया जलाऐं

कहीं कोई मित्र रूठा बैठा ना हो अंधियारे में
प्यार हि प्यार हो मन में
कहीं भी झुठा अभिमान पनपने ना पाये मन में
आओ दुस्मनो को भी गले लगाऐं
सदा के लिऐं सरी दुस्मनी भुल जाऐं
प्यार के प्रकाश को हम मिलकर चारो ओर फैलाऐं
आओ मिलकर स्नेह की बाती से दिया जलाऐं

आओ इस दिपावली हम मिलकर कसम खाऐं
मानवता के मिट्टी से हम दिया बनाऐं
प्यार का तेल दिये मे,हम मिलकर डाले
स्नेह की बाती को प्रज्वलीत करें
कोई भी कलह-कलैश के अंधीयारे मे ना हो
कोई नफरत मन में ना लाऐं
प्यार के प्रकाश से,
कोन-कोना जगमगाऐं
हर शब्द मे मिठास आऐ
हर दिल में प्यार का दिपक जगमगाऐं
आओ मिलकर स्नेह की बाती से दिया जलाऐं
आओ मिलकर स्नेह की बाती से दिया जलाऐं

-- सोनु झा

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⏰ पिछला अद्यतन: Oct 19, 2017 ⏰

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