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जब तक चाय-पत्ती पूरी उबल नहीं जाती, मैं उसमें दूध नहीं मिलाता और दूध मिलाने से पहले अदरक को बारीक कूटकर उबलती हुई चाय में डालना तो बिल्कुल नहीं भूलता। सबका अपना-अपना चाय बनाने का तरीका और सबका अपना-अपना स्वाद। नई दुल्हन के हाथों में लगी हुई मेहंदी सी, दीवारों पर पुते हुए नए रंगों की खुश्बू में नहाई हुई रसोई में, मैं अपने नए घर में पहली चाय बनाते समय कई प्रकार के ख्यालों में बह जा रहा था। चाय की महक रसोई में चारों ओर छितराई हुई थी। बाहरवीं मंजिल पर बने फ्लेट की रसोई की खिड़की के दूसरी ओर दैत्याकार बिल्डिंग अट्टहास करती हुई सी दिखायी दे रही थी। रसोई के अंदर और रसोई की खड़की के बाहर, दोनो ओर एक अबूझ सा अबोलापन सा फैला हुआ था।
दो महीने पहले जब कंपनी में मेरा प्रमोशन हुआ तब से मैं नए घर की तलाश में था। पुराना घर ठीक-ठाक ही था मगर उसमें कार पार्किंग कीसुविधा न थी। इसलिए कार को गली में ही पार्क करना पड़ता। बच्चे भी अब बड़े हो रहे थे, फिर बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग स्टडीरूम से की आवश्यकता भी बनी हुई थी। तो हम मिया बीवी ने एक बड़ा सा नयाघर लेना ही उचित समझा। घर पंसद करने और मोल भाव करने में ही एक महीना बीत गया। इसी बीच गर्मियों की छुट्टियाँ हो गई, बच्चे अपने ननिहाल चले गएं। सोचा कि जब बच्चे आएंगे तो उन्हें एक सरप्राइजदूँगा, ऑफिस से छुट्टी ली और सारा सामान नए घर में शिफ्ट कर दिया। घर में एक-एक चीज को करीने से सजाते वक्त जब दीवार पर बच्चोंकी फोटो टांग रहा था तो बरबस यही सोच रहा था कि जब वे इस नएघर में आएंगे तो कितना ऊधम मचाएंगे। बड़े से घर और बालकनी को देखकर कितना खुश होंगे। इसी उधेड़-बुन में चाय बनाने के लिए रसोईमें आया। चाय की महक के साथ-साथ मेरे मन में चल रहे कई विचार रसोई में यहाँ-वहाँ बिखरे हुए थे।
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ट्रिंग... ट्रिंग… डोरबेल बजी। डोरबेल की आवाज के साथ ही विचारों के झंझावत एकदम से गायब हो गए और मैं ऊहापोह की दुनिया से वापस लौट आया। गैस स्टोव की आंच को धीमा कर मेनडोर खोलने के लिए आगे बढ़ा।
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आत्माएँ बोल सकती हैं Spirits can talk
Paranormal'सुमित अवस्थी....! नाम कुछ सुना-सुना सा लग रहा था, इस घर में जो पहले किरायेदार रहते थे कहीं वो तो नहीं? मकान लेते समय जब मैंने इस घर में पहले रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी ली तो मुझे पता चला था कि कुछ महीने पहले ही कार एक्सीडेंट में उसकी पत्...